पहाड़ की नियति
- भूस्खलन से करीब 40 मीटर धाम का पैदल रास्ता हुआ तबाह, वैकल्पिक मार्ग बनाने में जुटा लोनिवि
- 10 दिन तक मार्ग खुलने की उम्मीद नहीं, धाम जा रहे 30 तीर्थयात्रियों को रास्ते से लौटाया
उत्तरकाशी। जिले में जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग अवरुद्ध होने से यमुनोत्री धाम की यात्रा अगले दस दिन तक शुरू होने की उम्मीद नहीं है। प्रशासन ने फिलहाल एक हफ्ते के लिए धाम की यात्रा पर रोक लगा दी है। शनिवार को यमुनोत्री धाम की यात्रा पर पहुंचे तीस तीर्थयात्रियों को रास्ते से ही लौटा दिया गया। लोनिवि के मजदूर अस्थायी वैकल्पिक रास्ता तैयार करने में जुटे हैं।
गौरतलब है कि कि शुक्रवार को भिंडियालीगाड़ के पास हुए भूस्खलन से जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया था। पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने यमुनोत्री की ओर फंसे सभी तीर्थयात्रियों को जंगल के रास्ते सकुशल जानकीचट्टी की ओर निकाल दिया है। इसके बाद से यमुनोत्री धाम की यात्रा पर रास्ता बहाल होने तक रोक लगा दी गई है।शनिवार को हरियाणा, दिल्ली आदि स्थानों से पहुंचे 22 तीर्थयात्रियों को स्यानाचट्टी बैरियर से व आठ यात्रियों को बड़कोट दोबाटा से लौटा दिया गया। लोनिवि ने क्षतिग्रस्त हिस्से से हटकर यमुनोत्री धाम तक आवाजाही के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।
इस हिस्से में पैदल मार्ग पर बनी पुलिया और करीब 40 मीटर हिस्सा पूरी तरह तबाह होने से यहां शीघ्र आवाजाही शुरू होने की उम्मीद नहीं है। मजदूर यहां भिंडियालीगाड़ पर अस्थायी पुलिया व करीब 400 मीटर लंबा वैकल्पिक रास्ता तैयार करने में जुटे हैं। इसमें करीब दस दिन लगने की बात कही जा रही है। भूस्खलन के मलबे से अवरुद्ध भिंडियालीगाड़ का पानी बड़े बोल्डरों के बीच रिस रहा है। यदि इस बीच जलागम क्षेत्र में अतिवृष्टि होती है तो यहां झील बनने का खतरा बना हुआ है।
लोनिवि के ईई एसके गर्ग का कहना है कि यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भूस्खलन से करीब डेढ़ करोड़ की परिसंपत्तियां ध्वस्त हुई हैं। इस हिस्से में करीब साठ मीटर स्पान की पैदल पुलिया और डेढ़ सौ मीटर हिस्से में कठोर चट्टान काटकर पैदल रास्ता तैयार करने के लिए ढाई करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वैकल्पिक रास्ता बनाने में भी करीब दस दिन लगेंगे।