भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) के बगावती सुर इन दिनों खबरों में हैं. लखीमपुर खीरी में हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) के बाद वरुण गांधी ने जिस तरह से एक के बाद एक कई ट्वीट कर निशाना साधा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, उस पर सत्ता के गलियारे में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वरुण गांधी का बीजेपी से मोहभंग हो चुका है? क्या वह कांग्रेस में जा रहे हैं? इसी चर्चा को उस समय और हवा मिल गई, जब प्रयागराज (Prayagraj) के कांग्रेस नेता ने वरुण गांधी को लेकर सोशल मीडिया में एक पोस्टर जारी कर दिया. वहीं कांग्रेस में जाने को लेकर वरुण गांधी ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि यह सब अफवाह है.
इस पोस्टर के जरिए वरुण गांधी का कांग्रेस में स्वागत किया गया है. पोस्टर में लिखा है कि दुःख भरे दिन बीते रे भईया, अब सुख आयो रे. इस पोस्टर में सोनिया गंधी के साथ वरुण गांधी की तस्वीर लगाई गई है. वहीं पोस्टर जारी करने वाले स्थानीय नेता इरशाद उल्ला और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बाबा अभय अवस्थी की भी तस्वीर है.
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गौरतलब है कि अपने इस बदले तेवर से वरुण गांधी ने लखीमपुर की पूरी घटना में बीजेपी सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. इस बीच बीजेपी हाईकमान ने भी वरुण गांधी को संदेश देते हुए मां मेनका गांधी के साथ बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह नहीं दी. अब सत्ता के गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं हैं. सबसे बड़ी चर्चा ये है क्या दशकों बाद गांधी परिवार फिर से एकजुट होगा? फिलहाल इस सवाल पर वरुण गांधी चुप हैं लेकिन कहीं न कहीं वे बीजेपी से आहत नजर आ रहे हैं.
हालांकि इस फैसले पर वरुण गांधी ने न्यूज18 से कहा है कि वह पिछले पांच सालों से एनईसी की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. सवाल उठ रहे हैं लखीमपुर कांड के बाद वरुण गांधी किसानों को लेकर लगातार वीडियो ट्वीट कर रहे थे, क्या इसका नतीजा है? इस सवाल पर वरुण गांधी का कहना है कि मैं हमेशा सही बातों को सामने रखता आया हूं.