देहरादून। उत्तराखंड में चल रहे मदरसों को लेकर हर दिन कुछ नए खुलासे सामने आ रहे हैं। मदरसों की जांच के दौरान एक बार फिर चौंकाने वाला सच सामने आया है। राज्य में मदरसा शिक्षा परिषद में 415 मदरसे पंजीकृत हैं, जिनमें से हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिलों के 30 मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चे भी पढ़ रहे हैं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड शासन से पूछा है कि मदरसों में जा रहे गैर मुस्लिम बच्चों को स्कूलों में क्यों दाखिला नहीं दिलाया गया। इस समेत अन्य बिंदुओं पर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को नौ नवंबर को आयोग के समक्ष पेश होकर जवाब देना है।
सूत्रों के अनुसार आयोग में दिए जाने वाले जवाब के संबंध में इन दिनों कसरत चल रही है। प्रदेश के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों के पढने का विषय सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसी वर्ष 20 जनवरी को शासन को पत्र भेजा था। पिछले माह आयोग ने मदरसा शिक्षा परिषद को निर्देश दिए थे कि वह उन मदरसों की विस्तृत जांच करे, जहां गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। इस पर परिषद की ओर से जवाब भेजा गया कि 30 मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। इनके अभिभावकों की इच्छा से ही इन्हें मदरसों में प्रवेश दिया गया, साथ ही यह भी बताया गया कि मदरसे आरटीई के अंतर्गत स्कूलों की श्रेणी में नहीं आते।
प्रदेश में पंजीकृत 415 मदरसों में से केवल 117 ही उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के दायरे में हैं। इसके अलावा 100 के लगभग गैर पंजीकृत मदरसे भी संचालित हैं। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि शरीयत कानून के अनुसार चंदे के रूप में लिए पैसे से अर्जित संपत्ति शरन-ए-वक्फ होगी। इसका अनुपालन नहीं हो पा रहा है। उनका कहना है कि इसके लिए सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए। इससे मदरसों के साथ ही अन्य परिसंपत्तियों के वक्फ बोर्ड के दायरे में आने पर सही तस्वीर सामने आएगी। साथ ही इन पर नियंत्रण भी बेहतर ढंग से हो सकेगा। उन्होंने बताया कि इस विषय पर वार्ता के लिए मुख्यमंत्री से समय मांगा गया है।
जिला मदरसे अध्यनरत छात्र गैर मुस्लिम छात्र
ऊधम सिंह नगर 08 1851 122
नैनीताल 01 113 04
हरिद्वार, 21 5435 623