देहरादून। देवभूमि की 70 विधानसभा सीटों पर आज सोमवार को करीब 82 लाख मतदाता 632 प्रत्याशियों का नसीब तय करने जा रहे हैं। यह विधानसभा चुनाव बदलाव के लिहाज से कुछ मायनों में नई इबारत लिखने जा रहा है।
इसके साथ ही यह चुनाव उम्रदराज और खांटी नेताओं के लिए आखिरी दांव माना जा रहा है। इसमें उनका सियासी भविष्य भी तय होगा। कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल, बंशीधर भगत, सतपाल महाराज, दिनेश अग्रवाल, हीरा सिंह बिष्ट, भाजपा के बंशीधर भगत, यूकेडी के दिवाकर भट्ट समेत कई अन्य उम्रदराज नेताओं के लिए यह चुनाव आर या पार वाला माना जा रहा है। यह सिर्फ उनके लिए नहीं, मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव जातीय, क्षेत्रीय और विकास से जुड़े समीकरणों के लिहाज से आखिरी माना जा रहा है।
यहां चुनावी समर में 82 लाख मतदाताओं की सबसे पहले यह जानने की बेताबी रहेगी कि प्रदेश की सत्ता पर किस दल की सरकार काबिज होगी। राज्य में भाजपा दोबारा सरकार बनाएगी या एक बार फिर कांग्रेस? आज सोमवार को ईवीएम में बंद होने वाले वोट जब 10 मार्च को खुलेंगे, तब तक आप इंतजार कीजिए।
सियासी बदलाव की दहलीज पर खड़े उत्तराखंड में 2022 का विधानसभा चुनाव भौगोलिक और सामाजिक समीकरणों के लिहाज से आखिरी होगा। 2026 में परिसीमन के बाद राज्य की 70 विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण बदलेंगे। साथ ही विकास की प्राथमिकताएं भी बदलेंगी। राजनीतिक पार्टियों और सियासी नेताओं को इस बदलाव के लिहाज से अपनी सियासी रणनीति भी बदलनी होगी।
सियासी जानकारों का मानना है कि राजनीतिक दल भाजपा हो या कांग्रेस या फिर कोई अन्य दल, सभी में अगले विधानसभा चुनाव तक नया सियासी दौर आएगा। दिग्गज और खांटी नेताओं की पीढ़ी चुनाव हारी तो उनकी जगह नई पीढ़ी के नेता जगह लेंगे। भाजपा और कांग्रेस सरीखे दलों में दूसरी पांत के नेताओं के हाथों में कमान थमाई जा चुकी है।
Tags AAP ASSEMBLY ELECTIONS bjp CONGRESS dehradun ELECTION 2022 uttarakhand UTTARAKHAND ELECTION 2022
Check Also
चुनावी मौसम में जनता को राहत, कमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ सस्ता…
नई दिल्ली। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कटौती …