देहरादून। उत्तराखंड में आंचलिक फिल्मों का एक दौर चल निकला है। आंचलिक फिल्में खूब बन रही हैं। वर्ष 2018 में उत्तराखंड की फिल्म नीति को मंजूरी मिलने के बाद आंचलिक फिल्मों के लिए राज्य सरकार अनुदान दे रही है। वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने ही फिल्म नीति को मंजूरी दी थी। प्रख्यात अभिनेता बलदेव राणा इस कदम को क्षेत्रीय सिनेमा के लिए संजीवनी बताते हैं। उन्होंने फिल्म नीति से जुड़ी सारी बातों, प्रयासों को फेसबुक में एक पोस्ट के जरिये सामने रखा है।
प्रख्यात अभिनेता बलदेव राणा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में उत्तराखंड की फिल्म नीति के निर्माण की शुरूआत से लेकर इसके लागूू होने तक की पूरी दास्तान लिखी है। राणा के अनुसार, 2006 में तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने क्षेत्रीय फिल्म विकास परिषद का गठन किया और फिल्म नीति की नींव रखी। मगर 2007 में तिवारी सरकार के दोबारा सत्तासीन न होने के कारण यह मामला लटक गया। इस बीच, कई सरकारें आईं, लेकिन फिल्म नीति नहीं बनी।
उत्तराखंड फिल्म एसोसिएशन के अध्यक्ष एसपीएस नेगी इस संबंध में मुख्यमंत्रियों के यहां चक्कर काटते रहे, पर काम नहीं बना। कोरोना काल में नेगी जी की मृत्यु हो गई। 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम बनने के बाद पर्वतीय नाट्य मंच की टीम ने उनसे मुलाकात की और फाइलों में दम तोड़ रही फिल्म नीति की फाइल पर कार्रवाई का अनुरोध किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका संज्ञान लिया और 2018 में फिल्म नीति लागूू कर दी गई। इसके बाद कई फिल्मों को अनुदान राशि दी गई।
प्रख्यात अभिनेता बलदेव राणा का कहना है कि सचमुच यह ऐतिहासिक कदम था। यह क्षेत्रीय फिल्मोें के लिए संजीवनी सरीखा है। इसी का प्रतिफल है कि आज हर महीने फिल्में प्रदर्शित हो रही हैं। राणा ने मौजूदा धामी सरकार की कार्य प्रणाली का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार ने फिल्म नीति में शार्ट फिल्में, बेवसीरीज, डाक्यूमेंट्री को भी अनुदान की व्यवस्था करके इसे विस्तार दे दिया है। यह भी सराहनीय है।