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प्रदूषण से खतरे में जिंदगी! ऐसे ही बढ़ता रहा तो कम हो जाएंगे जिदंगी के 5.3 साल…

नई दिल्ली। आज के समय में एयर पॉल्यूशन इंसान के हेल्थ के लिए एक बहुत बड़ी मुश्किल बनी हुई है। ग्लोबल लेबल पर देखें तो भारत सहित ऐसे 6 देश हैं जिनपर एयर पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है। इसी बीच, शिकागो विश्वविद्यालय की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया में रहने वाले लोगों की जीने की औसत उम्र को 5.1 साल तक कम कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 के बाद से दुनिया के प्रदूषण में लगभग 59 फीसदी बढ़तरी अकेले भारत से हुई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह स्थिति सबसे खतरनाक है।

एक स्टडी में कहा गया कि ‘शिकागो यूनिवर्सिटी’ के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एपिक) ने अपने सलाना एयर क्वालिटी लाइफ सूचकांक (एक्यूएलआई) की रिपोर्ट में कहा कि साल 2021 में ग्लोबल एयर पॉल्यूशन बढ़ने के साथ-साथ सेहत पर भी इसका असर हो रहा है। रिसर्चर ने कहा कि यदि ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के गाइडलाइन को पूरा करने के लिए पूरी दुनिया ग्लोबल स्तर पर सूक्ष्म कण प्रदूषण (पीएम2.5) को कम कर दे।

प्रदूषण के कारण भारत में नागरिकों को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम…

दुनिया के सभी देशों में से, भारत को वायु प्रदूषण से सबसे अधिक स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि भारत के नागरिक हवा में बड़ी संख्या में मौजूद प्रदूषकों से प्रभावित होते हैं। रिपोर्ट जो मुख्य रूप से सैटेलाइट PM2.5 डेटा पर आधारित है, उसके मुताबिक 2013 के बाद से, दुनिया के प्रदूषण में 59.1% वृद्धि भारत से हुई है। 2021 के PM2.5 डेटा के अनुसार, भारत में प्रदूषण 2020 में 56.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) से बढ़कर 2021 में 58.7µg/m3 हो गया है- जो WHO के दिशा निर्देश 5µg/m3 से 10 गुना अधिक है

इन देशों के लिए है सबसे बड़ी मुसीबत…

इस रिसर्च में यह भी कहा कि अगर ऐसा किया जाता है तो किसी भी व्यक्ति की आयु में 2.3 साल जुड़ जाएंगे, या दुनियाभर में कुल मिलाकर 17.8 अरब जिंदगी बचेंगे। आंकड़ों के मुताबिक सूक्ष्म कण वाले एयर पॉल्यूशन इंसान और उनके हेल्थ के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। दुनिया का सबसे बड़ा बाहरी खतरा बना हुआ है। शिकागो यूनिवर्सिटी अमेरिका के प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा,’एयर पॉल्यूशन का ग्लोबल जीवन प्रत्याशा का असर तीन चौथाई हिस्सा केवल इन देशों पर पड़ता है-बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया। रिसर्च ने पाया कि इन देशों के लिए एयर पॉल्यूशन खतरा बना हुआ है।

जिस तरह से इन देशों में एचआईवी/एड्स, मलेरिया और तपेदिक के लिए हर साल ग्लोबल लेबल पर मुहिम चलाए जा रहे हैं ठीक उसी तरह एयर पॉल्यूशन को लेकर भी कोई मुहिम चलाना चाहिए। रिपोर्ट बताती है कि भारत के सभी 1.3 अरब से अधिक लोग उन क्षेत्रों में ज्यादा रहते हैं जहां सलाना औसत कण प्रदूषण स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से अधिक है, जबकि 67.4% आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जो देश के अपने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक है। AQLI रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक छोटे-छोटे कण का काफी ज्यादा खतरा है। यह कण दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा देती है। जिसके कारण किसी भी इंसान की जिंदगी 4.5 साल कम हो जाती है।

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