नई दिल्ली। आयुर्वेदिक दवा के बारे में भ्रामक दावे के मामले में बाबा रामदेव और दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) की मुश्किल फिर बढ़ सकती है। केरल की एक अदालत ने अंग्रेजी और मलयालम समाचार पत्रों में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के एक मामले में इनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट दिव्य फार्मेसी और उसके सह-संस्थापक बाबा रामदेव तथा इस कंपनी प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ है।
जारी हुआ है वारंट
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार बाबा रामदेव के खिलाफ वारंट बीते 16 जनवरी को जारी हुआ है। औषधि निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3, 3 (बी) और 3 (डी) के तहत शिकायत दर्ज की गई। धारा 3 कुछ बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाती है। धारा 3 (बी) यौन सुख के लिए मनुष्यों की क्षमता के रखरखाव या सुधार का दावा करने वाली दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाती है। धारा 3 (डी) उन दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाती है, जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में दिए गए किसी भी रोग, विकार या बीमारी की स्थिति के निदान, इलाज, शमन, उपचार या रोकथाम का दावा करते हैं। आरोप है कि बाबा रामदेव की कंपनी दिव्य फार्मेसी की दवाओं को बेचने के लिए ऐसे ही भ्रामक विज्ञापनों का सहारा लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चेतावनी दी कि वह कानून के विपरीत भ्रामक विज्ञापनों और मेडिकल दावों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर अवमानना कार्यवाही शुरू करेगा, जिसके बाद वारंट जारी किया गया। सुप्रीम कोर्ट आधुनिक या “एलोपैथिक” मेडिकल को लक्षित करने वाले भ्रामक दावों और विज्ञापनों के संबंध में भारतीय मेडिकल संघ (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
पतंजलि आयुर्वेद के उत्पाद एलोपैथी जैसी आधुनिक मेडिकल प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में थे। बाद में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया, जो एलोपैथी का अपमान करते हैं और कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं।