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उत्तराखंड : व्यावसायिक वाहन मालिकों को सीएम ने दी बड़ी राहत!

वक्त की मांग

  • समाप्त की व्यावसायिक वाहनों की आयुसीमा, फिट हों तो उम्रदराज वाहन भी भरेंगे फर्राटा
  • राज्य में सवा दो लाख व्यावसायिक वाहन, करीब 50 हजार वाहनों को होगा सीधा फायदा

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर उत्तराखंड के व्यावसायिक वाहनों को बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार ने व्यावसायिक वाहनों की आयुसीमा खत्म कर दी है। राज्य संभागीय प्राधिकरण (एसटीए) और क्षेत्रीय संभागीय प्राधिकरण (आरटीए) ने राज्य में व्यावसायिक वाहनों की आयुसीमा तय की थी। उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर एसटीए और आरटीए के आदेश को निरस्त कर दिया था। न्याय विभाग ने भी उच्च न्यायालय के आदेश को ही सही माना था। अब परिवहन आयुक्त कार्यालय ने न्यायालय के फैसले के अनुरूप एसटीए और आरटीए के आदेश को रद्द कर दिया है। 
परिवहन आयुक्त दीपेंद्र चौधरी के मुताबिक राज्य में व्यावसायिक वाहनों की आयुसीमा अब केंद्रीय कानून के तहत ही निर्धारित होगी। केंद्रीय कानून में अखिल भारतीय परमिट वाले वाहनों के लिए ही आयुसीमा का निर्धारण किया गया है। यानी अब उत्तराखंड के भीतर केवल उन्हीं वाहनों को फर्राटा भरने की इजाजत होगी, जो फिट हैं। बेशक वे कितने उम्रदराज हों। पुराने वाहनों को सड़क पर दौड़ने के लिए फिटनेस के मानकों पर खरा उतरना होगा।
व्यावसायिक वाहनों को एक और राहत दी गई है। इसके तहत जो व्यावसायिक वाहन एक फरवरी 2020 से लाइसेंस, परमिट, रजिस्ट्रेशन और फिटनेस का नवीनीकरण नहीं करा पाए हैं। उन्हें अब 31 दिसंबर तक नवीनीकरण करा सकेंगे। केंद्र सरकार के आदेश पर परिवहन आयुक्त कार्यालय ने ऐसे सभी व्यावसायिक वाहनों के लाइसेंस, परमिट, रजिस्ट्रेशन और फिटनेस प्रमाणपत्र 31 दिसंबर 2020 तक मान्य कर दिए हैं। परिवहन आयुक्त के इस फैसले से करीब 50 हजार व्यावसायिक वाहन स्वामियों को फौरी राहत मिलेगी। प्रदेश में सवा दो लाख व्यावसायिक वाहन हैं।
विक्रम चालक एसोसिएशन की याचिका पर उच्च न्यायालय ने एसटीए और आरटीए के आयुसीमा तय करने के आदेश को निरस्त कर दिया था।
सरकार ने उच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन वह हार गई। उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहा, लेकिन तय समय गुजर गया। सुप्रीम कोर्ट में उसकी याचिका स्वीकार नहीं हो पाई। व्यावसायिक वाहन स्वामियों के संगठन कोरोना संकट को देखते हुए व्यावसायिक वाहनों की आयुसीमा दो साल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इस मांग को लेकर वे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिले थे। सीएम ने परिवहन विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद परिवहन विभाग की कवायद में ये समाधान निकाला गया।

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