नई दिल्ली। ब्लड कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए भारत के एक अत्याधुनिक उपचार को अनुमति मिल गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने विशेषज्ञ कार्य समिति की सिफारिश पर भारत की पहली स्वदेशी काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी को बाजार में लाने की मंजूरी दी है। इस थेरेपी का इस्तेमाल गंभीर लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे कैंसर के इलाज में किया जाएगा।
यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें कैंसर मरीज से सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ टी सेल्स निकाले जाते हैं। इसके बाद इन्हें एक प्रयोगशाला में लाकर टी सेल्स और सफेद रक्त कोशिकाओं को अलग अलग किया जाता है। इसके बाद ट्यूमर कोशिकाओं को लक्षित करने के लिए टी सेल्स को प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है। इसके बाद वापस से इन्हें मरीज में डाला जाता है। यह प्रक्रिया सिर्फ एक बार की जाती है। मरीज के शरीर में जाने के बाद कैंसर के साथ टी सेल्स लड़ते हैं और उन्हें अंदर ही अंदर खत्म करने लगते हैं।
वहीं कंपनी ने कहा है कि उसे पहले मानवकृत `मेड इन इंडिया’ सीडी 19-लक्षित सीएआर-टी सेल थेरेपी उत्पाद के लिए विपणन प्राधिकरण की अनुमति मिल गई है, जो भारत को वैश्विक उन्नत सेल और जीन थेरेपी मानचित्र पर लेकर आएगा। कंपनी के अनुसार, जल्द ही इस थेरेपी को देश के अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा।
बता दें कि देश में हर साल 14 लाख से ज्यादा कैंसर मरीज सामने आ रहे हैं। इनकी संख्या हर साल लगातार बढ़ रही है। अभी तक कैंसर के मामले में रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी के विकल्प हैं, लेकिन दुनिया के कई देशों में कार टी सेल थेरेपी को लेकर भी काम किया जा रहा है, जिसे इम्यूनोथेरेपी भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य मरीज के शरीर में ऐसे एजेंट विकसित करना है जो कैंसर के खिलाफ लड़ते हुए मरीज की जान बचा सकें।