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शवों के लिए श्मशान नहीं : दिल्ली में अब कुत्तों की कब्रगाह में सजेंगी चितायें!

  • गाजियाबाद में फुटपाथ पर जल रहीं चिताएं, कर्नाटक में घरों और खेतों में अंतिम संस्कार की दी इजाजत

नई दिल्ली। श्मशान घाट में जगह नहीं बची है, दाह संस्कार के लिए आप कहीं और जाएं…। अपनों की अर्थी को कंधों पर लादे कोई व्यक्ति ये लाइनें पढ़ेगा तो उस पर क्या गुजरेगी। लेकिन, आज का सच यही है। हर ओर चिताएं जल रही हैं और देश मातम में डूबा है।
नई दिल्ली में भी कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने लोगों के दाह संस्कार के लिए कुत्तों के कब्रगाह यानी डॉग क्रेमेटोरियम का इस्तेमाल करने की तैयारी कर दी है। इसके लिये 50 चितास्थल तैयार किये जा रहे हैं। यह हाल राष्ट्रीय राजधानी का है। जब तक स्थिति सामान्य नहीं होगी तब तक इसे लोगों की चिताएं जलाने के लिए लिया जा रहा है।
हिंडन के श्मशान घाट के पास फुटपाथ पर चिताओं को जलाने की अस्थाई व्यवस्था की गई है। दिल्ली में रोजना कोरोना से करीब 700 लोगों की मौत हो रही है। ऐसे में प्रशासन ने अंतिम संस्कार के लिए इस जगह को चुना है। डॉग क्रेमेटोरियम अभी शुरू नहीं हुआ है, ऐसे में प्रशासन इसका इस्तेमाल लोगों के लिए कर रहा है। ये द्वारका के सेक्टर 29 में 3.5 एकड़ में फैला है।
एनसीआर में गाजियाबाद के श्मशान घाट पर जगह कम पड़ रही है, क्योंकि राजधानी से सटे इस शहर में हर पल किसी न किसी की जान जा रही है। अब स्थिति ये है कि फुटपाथ पर चिताएं जल रही हैं।
तीन दिन पहले गाजियाबाद स्थित हिंडन नदी के किनारे घाट में लाइन से शवों का दाह संस्कार किया गया। बताया जा रहा है कि 35 से ज्यादा शवों को श्मशान घाट के दूसरी तरफ फुटपाथ पर जलाया गया। ये घटना देर रात की है। ये सभी कोरोना की जंग हारने वाले लोग थे।
यहां लोग अपनों की अर्थी लेकर आते हैं, पीपीई किट में घंटों इंतजार करते हैं। इन शवों को लाने के लिए सड़क पर एंबुलेंस की लंबी कतारें थीं। कई एंबुलेंस की नंबर प्लेट्स तक गायब थीं। इतने शव आते हैं कि अंतिम संस्कार के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। एक महिला को अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए करीब 6 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इस दौरान वो पीपीई किट में खड़ी थी। उसके साथ आए रिश्तेदार लगातार रो रहे थे।
उधर कर्नाटक सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें लोगों से अपने खेतों में और घरों के पीछे दाह संस्कार करने को कहा गया है। श्मशानों और कब्रिस्तानों में भारी भीड़ की वजह से राज्य सरकार ऐसा फैसला लेने पर मजबूर हुई है। सरकार का कहना है कि इससे लोग सम्मान के साथ अपनों की अंतिम क्रिया कर सकेंगे।

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