देहरादून। भारत के कई राज्यों में करोड़ों रुपये की साइबर धोखाधड़ी करने वाले डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के मुख्य आरोपी को एसटीएफ की टीम ने राजस्थान के जयपुर से गिरफ्तार किया।
बता दें कि हाल ही में निरंजनपुर देहरादून निवासी एक पीड़ित ने शिकायत दर्ज की थी। बताया कि उनके मोबाइल पर मुंबई साइबर क्राइम पुलिस के नाम से एक फोन आया और मोबाइल फोन से अपराध होना बताकर व्हाट्सएप पर बात करने को कहकर फोन काट दिया गया। फिर शिकायतकर्ता को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आई। जिसमें सामने एक व्यक्ति पुलिस यूनिफॉर्म में बैठा था। इस दौरान उन्हें मनी लांड्रिंग के केस का भय दिखाकर डराया गया। इसके बाद दो करोड़ से भी ज्यादा की ठगी की गई।
मामले में पुलिस ने नीरज भट्ट(19) पुत्र गोविन्द प्रसाद भट्ट निवासी मानसरोवर, जयपुर को गिरफ्तार किया है। आरोपी के कब्जे से घटना में प्रयुक्त AU Small Finance (एयू स्मॉल फाइनेंस) बैंक खाते का एसएमएस अलर्ट सिम नंबर समेत एक मोबाइल हैंडसेट बरामद हुआ. साथ ही अब तक की जांच में आरोपी द्वारा धोखाधड़ी में प्रयोग किए जा रहे खाते के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में भी शिकायतें दर्ज होना पाई गई हैं।
डिजिटल अरेस्ट क्या होता है
डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है, जिसके जरिए साइबर अपराधी लोग अपने शिकार को बंधक बना लेते हैं। खुद को पुलिस, सीबीआई, कस्टम या अन्य किसी एजेंसी का बड़ा अधिकारी बात कर धमकी देते हैं कि उनके खिलाफ कानून उल्लंघन का गंभीर मामला दर्ज है। साइबर क्राइम करने वाले ठग, शिकार बनाने वाले लोगों के बारे में पहले ही पूरी जानकारी जुटा लेते हैं और फिर गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं। काफी देर तक वह लोगों को ऑनलाइन बंधक बनाकर अपने काबू में रखते हैं। डर के कारण व्यक्ति वही करता है, जो साइबर अपराधी उसे निर्देश देते हैं। व्यक्ति अपने घर में होने के बावजूद भी मानसिक और डिजिटल रूप उन साइबर ठगों के काबू में होता है।
साइबर ठगी से कैसे बचें
- किसी को भी फोन पर अपनी बैंक डिटेल न दें।
- किसी को भी अपना ATM पिन, CVV नंबर, डेबिट पासवर्ड और अकाउंट नंबर शेयर न करें।
- किसी को भी ओटीपी (OTP) शेयर न करें।
- कभी भी इंटरनेट पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च कर उनसे संपर्क न करें।
- इंटरनेट पर आनी वाली साइटों पर अपनी निजी जानकारी डालने से बचें।
- किसी भी फ्री या डिस्काउंट के लालच में आकर लिंक पर क्लिक न करें।
- लगातार कुछ महीनों के अंतराल पर अपने सभी पासवर्ड बदलते रहें।
- एटीएम वैलिडिटी एक्सपायर से संबंधित आने वाले कॉल और मैसेज का जवाब बिल्कुल न दें।
- कभी भी बैंक के कर्मचारी फोन या ईमेल पर आपकी पर्सनल जानकारी नहीं मांगते हैं।
- कभी भी बैंक के कर्मचारी एटीएम की वैलिडिटी खत्म होने पर कॉल नहीं करते हैं।
- डेबिट कार्ड से शॉपिंग करते समय पब्लिक वाई फाई का इस्तेमाल करने से बचें।
- लेन-देन करने पर रसीद जरूर मांग लें।
- ऑनलाइन शॉपिंग करने के बाद अपना बैंक स्टेटमेंट जरूर चेक करें।