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ढलती उम्र में किसके इशारों पर नाचने लगे पूर्व विधायक

  • पहले से कम थे दाग जो एक और लगा बैठे
  • इसी को कहते है चोर चोरी से जाए लेकिन हेरा फेरी से ना जाए
  • टेलर से विधायक और मंत्री बनाने वाली भाजपा पर कई बार लगा चुके है दाग
  • सरकार व संगठन की चुप्पी से भी बढती रही हिम्मत

आज सोशल मीडिया में एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें भाजपा के पूर्व विधायक व मंत्री रहे लाखी राम जोशी ने वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पत्र लिखकर स्ंिटग मास्टर उमेश कुमार वाले प्रकरण को आधार बनाकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है। जबकि सच्चाई यह है कि पौने चार साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस वाली त्रिवेंद्र सरकार पर एक रुपए का भी इल्जाम नहीं लगा।
त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में प्रदेश में हुए सभी चुनावों में भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई है। ईमानदारी से कार्य कर रहे मुख्यमंत्री को निशाना बनाने के पीछे पूर्व विधायक लाखी राम जोशी की न जाने क्या मंशा या मजबूरी रही हो लेकिन जाने अनजाने में उन्होनें पूर्व में की गई अपनी कारस्तानियों को लिखने, पढने और सुनने का मौका उत्तराखण्ड की जनता को दुबारा जरुर दे दिया है।
जिस पूर्व विधायक ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में व्हिप जारी होने के बाद भी विधान परिषद के चुनाव में मोटा माल लेकर क्रॉस वोटिंग की हो वह अचानक भ्रष्टाचार पर उस मुख्यमंत्री पर इल्जाम लगा रहा है जिसने सैकड़ो भ्रष्टाचारियों को जेल में डाल रखा है। इन्हें तो भाजपा संगठन का अहसान मानना चाहिए कि अहसान फरामोशी के बावजूद भी इन पर अनुशासन का चाबुक नहीं चला। जिस भाजपा ने इन्हें टेलर से विधायक और मंत्री तक बनाया उसी भाजपा के साथ अब तक यह लगातार गद्दारी करते आए है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी भाजपा और उसके नेता इन्हें आज तक लगातार सम्मान देते आ रहे है।

भाजपा ने जहां एक तरफ इनके छोटे बेटे को बीडीसी का टिकट देकर जितवाया वहीं दूसरी तरफ ये महाशय टिहरी जिला पंचायत चुनाव के दौरान एक महिला प्रत्याशी के नाम से रुपयों की बन्दर बांट करते हुए मिलेे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जब टिहरी जिले के प्रभारी थे तो उन्होंने जिताऊ प्रत्याशियों को टिकट देने की पैरवी की थी तब से पूर्व विधायक उनसे नाराज चल रहे हैं। इस नाराजगी की अंगीठी पर हाथ सेंकने वाले कुछ लोगों ने वो पत्र लिखवा कर इनसे ऐसा काम करवा दिया जिससे उम्र के इस पड़ाव में इनकी भद्द पिटनी तय है। विधायक लाखी राम जी भूल गए कि एक उंगली उठाने पर तीन उंगलियां अपनी तरफ भी होती है और वो तभी उठानी चाहिए जब अपना दामन पूरा पाक साफ हो।
वहीं वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में जब नरेंद्र नगर विधानसभा से इन्हें टिकट दिया गया तो लाखी राम पैसों की घमंड में चूर होकर नई कार से भी नीचे नहीं उतरे। नोट के बदले वोट के नारे पर यकीन मानने वाले लाखी राम को कार्यकर्ताओं ने सबक सिखा दिया और भाजपा की गढ माने जाने वाली सीट को कांग्रेस के सुबोध उनियाल की झोली में डाल दिया। विधायक जी खिसयानी बिल्ली ख्ंाभा नोचे वाले अंदाज में आज भी भाजपा का टिकट पाने के लिए दिल्ली की दौड़ लगाते रहते हैं लेकिन संगठन के विरोध में किए गए इनके कार्य और गुटबाजी का साया इनकी दौड़ को पूरी नहीं होने देता है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन गलतियों की वजह से लाखी राम आज राजनीतिक रुप से हाशिए पर खड़े है फिर वैसी गलतियां आखिर वो क्यूं दोहरा रहे है? अपना राजनीतिक कैरियर तो वह खत्म कर ही चुके है लेकिन अपने बच्चों के लिए भी वो कालीन की जगह कांटे बिछाने का काम कर रहे है। इनको करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि पूर्व विधायक जी की राजनीतिक याददाश्त अब क्षण भंगुर सी हो गयी है, इनको उत्तराखण्ड और यहां की जनता सिर्फ चुनाव से पहले याद आती है और उसके बाद उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता है। अब देखना यह है कि हर बार अपनी पार्टी के खिलाफ बगावत और गलतियों को नजरअंदाज करने वाली प्रदेश भाजपा संगठन इस बार भी लाखी राम पर चुप्पी साधता है या इस तरह से पार्टी और सरकार को बदनाम करने वालों को कड़ा संदेश देते हुए कोई सख्त कार्यवाही करता है।

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