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New Delhi, Jan 28 (ANI): Bharatiya Kisan Union leader Rakesh Tikait getting emotional while speaks to media at Ghazipur border in New Delhi on Thursday. (ANI Photo)

आंदोलन जारी रखने को किसानों की नई रणनीति

एक तरफ आंदोलनकारी किसान संगठन अपने प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं, दूसरी तरफ वे सरकार से बातचीत को भी तैयार दिख रहे हैं। किसान यूनियनों के साझा मंच, संयुक्‍त किसान मोर्चा (SKM) की ओर से केंद्र सरकार को लंबित मांगों पर बातचीत बहाल करने के लिए चिट्ठी भेजी जा सकती है। वे मुख्‍यत: सभी फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

बैठक के बाद एक किसान नेता ने कहा, ‘हम बातचीत फिर से शुरू करने के लिए सरकार को लिखने के मुद्दे पर चर्चा की है। हम अपनी मांगों को लेकर दबाव बढ़ाना चाहते हैं इसलिए किसान यूनियनों के बीच कमोबेश आम सहमति है।’

सरकारी कमिटी पर क्‍यों नहीं मान रहे किसान?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को निरस्‍त करने की घोषणा के बावजूद किसान यूनियनों के विरोध-प्रदर्शन पहले की तरह जारी रहेंगे। 29 नवंबर से संसद तक रोज ट्रैक्‍टर मार्च निकालने की योजना भी है। इस दिशा में आखिरी फैसला रविवार को होने वाली सभी यूनियनों की बैठक में लिया जाएगा।

यह पूछे जाने पर कि पीएम ने विवादित कानूनों को रोलबैक करने और MSP से जुड़े मसले पर समिति बनाने की घोषणा कर दी है, तो अब आंदोलन का क्‍या तुक है? एक अन्‍य किसान नेता ने कहा कि बिना किसान यूनियनों के प्रतिनिधित्‍व के ऐसा कोई भी पैनल निरर्थक है और इसीलिए SKM सरकार से बातचीत बहाल कर महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय बताना चाहती है।

किसान नेता ने कहा, ’22 नवंबर (लखनऊ महापंचायत), 26 नवंबर (दिल्‍ली की सीमाओं पर एक साल के आंदोलन की सालगिरह) और 29 नवंबर (शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक रोज ट्रैक्‍टर मार्च) के हमारे कार्यक्रम जारी रहेंगे।’

किन-किन मांगों पर अब अड़े हैं किसान?

SKM नेता दर्शन पाल ने कहा, ‘हमारे अन्‍य मुद्दे खासकर MSP की कानूनी गारंटी, हमारे खिलाफ दर्ज मुकदमों की वापसी, बिजली संशोधन बिल 2020 और वायु नियंत्रण कानून (पराली जलाने के खिलाफ नियम) के कुछ प्रावधानों की वापसी और हमारे उन मित्रों के लिए स्‍मारक जो मारे गए, लंबित हैं।’ उन्‍होंने कहा कि ‘हमें उम्‍मीद है कि सरकार मुद्दे सुलझाने के लिए बैठक बुलाएगी।’

उन्‍होंने SKM की कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक के बाद यह बात कही जिसमें आंदोलन के दौरान मारे गए 670 किसानों के परिवार के लिए अनुदान की मांग की गई। संयुक्‍त किसान मोर्चा ने इसी महीने घोषणा की थी कि शीतकालीन सत्र के दौरान, रोज 500 किसान संसद तक शांतिपूर्ण ट्रैक्‍टर मार्च निकालेंगे। सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा।

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