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तवांग झड़प पर सच बताने की हिम्मत करे मोदी सरकार : मामूली घायल जवान 6 दिन से अस्पताल में क्यों?

देहरादून। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 9 दिसंबर की सुबह हुई झड़प के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने 13 दिसंबर को बेहद सख्त लहजे में ये दावा किया था…‘जब तक देश में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, देश में भाजपा की सरकार चल रही है, एक इंच जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकता।’
इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संसद में दावा किया कि इस झड़प में भारतीय सैनिकों को मामूली चोटें आई हैं। कोई भी सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं है।
इन दावों के बावजूद न तो सरकार और न ही सेना की तरफ से इस झड़प में घायल भारतीय सैनिकों की संख्या बताई गई, न ही कोई आधिकारिक बयान जारी कर उनकी स्थिति के बारे में कुछ बताया गया है। ये सैनिक गुवाहाटी के 151 बेस हॉस्पिटल में एडमिट हैं।
इस अस्पताल के बाहर सन्नाटा पसरा है। तवांग में हुई मुठभेड़ के बाद इन जवानों को तुरंत एयरलिफ्ट कर यहां शिफ्ट किया गया था। चीनी सैनिकों से झड़प में घायल भारतीय जवान इसी हॉस्पिटल में भर्ती हैं। ये हॉस्पिटल तवांग शहर से करीब 450 किमी दूर है। सच जानने को जनता बेताब है, लेकिन जिम्मेदार लोगों ने चुप्पी साधी हुई है।
मीडिया ने गुवाहाटी में छानबीन की तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दावे पर ये 5 सवाल खड़े हो रहे हैं…
1. अगर सैनिक मामूली रूप से घायल हुए हैं तो उनका इलाज तवांग बेस कैंप में ही क्यों नहीं किया गया, आमतौर पर सेना के पास इलाज की सुविधा होती है, क्या सेना के पास मामूली चोटों के इलाज लायक भी इंतजाम नहीं थे?
2. सैनिकों की हालत गंभीर नहीं थी तो उन्हें एयरलिफ्ट कर जल्दबाजी में 440 किलोमीटर दूर गुवाहाटी बेस हॉस्पिटल क्यों लाया गया? अरुणाचल प्रदेश में भी 181 मिलिट्री हॉस्पिटल टेंगा और 188 मिलिट्री हॉस्पिटल लिकाबाली जैसे आर्मी बेस हॉस्पिटल मौजूद हैं।
3. 9 दिसंबर की सुबह झड़प हुई और आज 15 दिसंबर है। 6 दिन बीत चुके हैं फिर भी ये सैनिक अस्पताल में क्यों एडमिट हैं? हालांकि सूत्रों का कहना है कि घायल हुए सैनिकों में से कोई भी अभी डिस्चार्ज नहीं किया गया है।
4. मोदी सरकार, सेना या अस्पताल इन सैनिकों का हेल्थ बुलेटिन सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं? कितने सैनिक घायल हुए हैं, इसकी संख्या क्यों नहीं बताई जा रही?
5. 14 दिसंबर को तवांग के नाम पर 2 साल पुराना एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। मोदी सरकार और सेना की तरफ से इस पर आधिकारिक बयान क्यों नहीं आया? हालांकि सूत्रों ने यह कंफर्म किया है कि ये वीडियो 9 दिसंबर को तवांग में हुई झड़प का नहीं है। देश की आम जनता के बीच इस वीडियो को कुछ इस तरह पेश किया गया जिससे लोगों में यह संदेश गया कि तवांग में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को मारपीट कर खदेड़ दिया, लेकिन आज तक सच नहीं बताया गया।

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