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लद्दाख में तनाव के बीच भारत ने एलएसी पर बढ़ाई सैन्य तैनाती!

  • अरुणाचल में भी बड़ी तादाद में भारतीय सैनिक तैनात, चीन की किसी भी हिमाकत का देंगे मुंहतोड़ जवाब

गुवाहाटी। जून में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने पूर्वोत्तर राज्यों में एलएसी पर बड़ी तादाद में सैन्य तैनाती की है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
लद्दाख में बीते जून माह में हुई चीन-भारत के बीच हिंसक झड़प हाल के दशकों की सबसे बुरी घटना थी और उसके बाद से दोनों देशों में जारी तनाव में कमी के बहुत कम संकेत मिल रहे हैं। चीन के साथ ही भारत भी एलएसी पर लगातार सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है। चीनी सैनिकों ने अभी 29-30 अगस्त की दरम्यानी रात और 31 अगस्त को भी पैंगोंग सो इलाके में भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया।
अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में भारतीय सैनिकों की हलचल में तनातनी बढ़ने का संकेत दे रही है। हालांकि सरकार के साथ-साथ सैन्य अधिकारियों ने इससे इनकार किया है। अंजाव की चीफ सिविल सर्वेंट आयुषी सुडान ने कहा, ‘सैन्य मौजूदगी निश्चित तौर पर बढ़ी है लेकिन जहां तक घुसपैठ (चीन) की बात है तो इस तरह की कोई भी पुष्ट रिपोर्ट नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा कि वहां भारतीय सेना की कई बटालियनें तैनात हैं।
उन्होंने रॉयटर्स को टेलिफोन पर बताया, ‘गलवान की घटना के बाद से ही सैन्य तैनाती बढ़ी है लेकिन उससे पहले से ही तैनाती बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।’ गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश 1962 में भारत-चीन के बीच हुई जंग के केंद्र में रहा था। अब सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यह एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव का केंद्र बन सकता है।
हालांकि भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष वर्धन पांडे ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। इलाके में जवानों का आना नियमित रोटेशन का हिस्सा है।
दूसरी चरफ अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सांसद तापिर गाओ ने बताया कि चीनी सैनिक नियमित तौर पर भारतीय इलाकों में घुसपैठ कर रहे हैं। अंजाव जिले के वैलोंग और चगलागम इलाके को सबसे ज्यादा संवेदनशील बताते हुए गाओ ने आगे कहा, ‘अब यह नियमित बात हो गई है, इसमें कुछ भी नया नहीं है।’
उल्लेखनीय है कि 1962 की जंग के दौरान भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को वैलोंग में रोक दिया था जबकि पड़ोसी देश के सैनिकों की तादाद बहुत ज्यादा थी। इस इलाके में पहाड़, घास के मैदान और तेज बहाव वाली नदियां हैं। अब सरकार इस इलाके में बस्तियां बसाने और सड़क बनाने पर फोकस कर रही है। विवादित इलाके में गांवों की श्रृंखला बसाने की योजना की तरफ इशारा करते हुए सुजान ने कहा, ‘हम ग्रामीणों के लिए और ज्यादा संभावनाओं और अवसरों को पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह लोगों को फिर से बसाने के लिए है।’

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