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‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ आज, जानें आखिर क्यों मनाया जाता है यह दिन?

नई दिल्‍ली। भारत को किसानों का देश कहा जाता है। यहां की आधी से अधिक जनसंख्या आज भी खेती या इससे जुड़े कामों पर निर्भर है। तो किसानों को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। कहा जाता है कि भारत गावों में बसता है और वो इसलिए क्योंकि ग्रामीण समृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारक किसान ही हैं। यही वजह है कि किसानों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए देश हर साल 23 दिसंबर के ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मनाता है। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि आखिर 23 दिसंबर को ही क्या खास है कि इसी दिन किसान दिवस मनाया जाता है, तो आपको बता दें कि 23 दिसंबर को ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री और दिग्गज किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती है। आजाद भारत में अगर किसी ने किसानों के हक-हकूक की बात की तो वो चौधरी साहब ही थे। उन्होंने अन्नदाताओं के हित में और खेती के लिए कई अहम काम किए हैं, जिन्हें इस दिन याद किया जाता है। चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि किसानों की दशा बदलेगी, तभी देश बढ़ेगा और इस दिशा में वे लगातार काम करते रहे।
‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ के दिन देश अथक मेहनत करने वाले अन्नदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करता है और भारत की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान से अवगत होता है। किसान दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में कृषि वैज्ञानिकों के योगदान, किसानों की समस्याएं, कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग, नई तकनीक, फसल पद्धति और खेती में बदलाव जैसे कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा होती है।
कौन थे चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हुआ था। चौधरी चरण सिंह गांधी से काफी प्रभावित थे और जब देश गुलाम था तो उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई भी लड़ी। आजादी के बाद वे किसानों के हित के काम करने में जुट गए। चौधरी चरण सिंह ने एक बार कहा था, सच्चा भारत अपने गांवों में बसता है। चौधरी चरण सिंह ने किसानों के हित में कई अहम फैसले लिए। जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चौधरी चरण सिंह ने किसानों के जीवन और उनकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई अहम नीतियां बनाईं। यकीनन उनके प्रयास रंग लाए और किसानों की स्थिति में बदलाव भी हुए। कम समय के लिए पीएम रहते हुए भी चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई। चौधरी चरण सिंह ने सर छोटू राम की विरासत को आगे बढ़ाया, उन्होंने 23 दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट भी बनाया, ताकि देश में किसानों के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। उनकी राजनीति मुख्य रूप से ग्रामीण भारत, किसान और समाजवादी सिद्धांतों पर केंद्रित थी।
2001 से ‘किसान दिवस’ मनाने की चली आ रही प्रथा…
कुछ ही महीनों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह ने किसानों और कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें देश के सबसे प्रसिद्ध किसान नेताओं में से एक के रूप में जाना जाता है। कृषि क्षेत्र और किसानों के हित में किए गए उनके कार्यों के लिए ही भारत सरकार ने 2001 में 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। तभी से हर साल इस दिन हमारी थाली में भोजन उपलब्ध कराने वाले कृषकों के प्रति हम कृतज्ञता अर्पित करते हैं।
भूमि सुधार लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका…
वे उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनका कार्यकाल दोनों बार लंबा नहीं चला। बावजूद इसके मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने भूमि सुधार लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाई और किसानों के हित में कई बड़े फैसले लिए। कहा जाता है कि चौधरी चरण सिंह ने खुद ही उत्तर प्रदेश जमींदारी और भूमि सुधार बिल का मसौदा तैयार किया था।
जमींदारी प्रथा का किया उन्मूलन…
वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया।
चौधरी चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का था आदेश…
9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना, बुलंदशहर के गांवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। मेरठ कमिश्नरी में युवक चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी। मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था। एक तरफ पुलिस चरण सिंह की टोह लेती थी वहीं दूसरी तरफ युवक चरण सिंह जनता के बीच सभाएं करके निकल जाता था। आखिरकार पुलिस ने एक दिन चरण सिंह को गिरफ्तार कर ही लिया। राजबंदी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई।
गाजियाबाद की हिंडन नदी पर बनाया था नमक…
गांधी जी ने ‘डांडी मार्च’ किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफ्तार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये। सारे देश में इस समय असंतोष व्याप्त था। महात्मा गांधी ने करो या मरो का आह्वान किया। अंग्रेजों भारत छोड़ो की आवाज सारे भारत में गूंजने लगी थी।
वहीं आज के दिन को किसान दिवस के तौर पर मनाने का मकसद पूरे देश को यह याद दिलाना है कि किसान देश का अन्नदाता है और यदि उसकी कोई परेशानी है या उसे कोई समस्या पेश आ रही है तो ये सारे देशवासियों का दायित्व है कि उसकी मदद के लिए आगे आएं।

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