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दूसरी लहर का साइड इफेक्ट : अब 3 दिन में ही फेफड़ों को 50-70% संक्रमित कर रहा कोरोना!

सूरत। आजकल देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। इस लहर में संक्रमण की फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने की रफ्तार भी तेजी से बढ़ी है। विशेषज्ञों के मुताबिक दूसरी लहर यानी कोरोना संक्रमण का नया स्ट्रेन 2-3 दिन में ही फेफड़ों को 50-70% संक्रमित कर देता है। जबकि पहली लहर में इसमें करीब 7 दिन का वक्त लगता था। अब देखा जा रहा है कि दो से तीन दिन में ही वायरस फेफड़ों तक पहुंचकर क्षतिग्रस्त कर रहा है। इससे मौतों की संख्या भी बढ़ रही है।
गौरतलब है कि सामान्यत: मरीज को कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। एंटीजन टेस्ट, RT-PCR या सीटी स्कैन की रिपोर्ट आने में 24 से 36 घंटे लग जाते हैं। तब तक तो संक्रमण फेफड़ों को 50-70% तक नुकसान पहुंचा देता है।
पल्मोनोलॉजिस्ट के मुताबिक, 20 साल तक रोज 2-3 सिगरेट पीने पर जितना नुकसान होता है, उतना 2-3 दिन में ही पहुंच रहा है। पिछले साल काेराेना ने जब भारत पर पहली बार हमला किया, तब यहां दुनिया का सबसे सख्त लाॅकडाउन लगाया गया। चेतावनी साफ थी कि 130 कराेड़ की आबादी में अगर यह वायरस तेजी से फैला, ताे बेहद खतरनाक साबित हाेगा। हालांकि वह लाॅकडाउन गलतियाें से भरा था और इसने काफी नुकसान भी पहुंचाया, लेकिन संक्रमण की राेकथाम में यह काम करता दिखाई पड़ रहा था। संक्रमण दर घट रही थी और तुलनात्मक रूप से कम थी।
उस समय विशेषज्ञाें ने चेतावनी भी दी थी कि अगर संक्रमण की दूसरी लहर आती है ताे सरकार की बेतरतीब कार्यप्रणाली एक और संकट काे जन्म देगी और अब वह संकट सिर पर खड़ा है। हालांकि मृत्युदर अभी कम है, लेकिन बढ़ रही है। इतने बड़े देश में सभी को वैक्सीन लगाना आसान नहीं है, इसके बावजूद यह काम धीमे चल रहा है। अस्पताल में बिस्तर भी कम पड़ते दिख रहे हैं।
उधर वैज्ञानिक अभी वायरस के नए स्ट्रेन (रूप) काे समझने की काेशिश कर रहे हैं। खासताैर पर यहां उस स्ट्रेन की पहचान की काेशिश कर रहे हैं, जिसने ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका के लिए खतरा पैदा किया था। समस्या यह है कि सरकारों ने ने यह कहते हुए हथियार डाल दिए हैं कि काॅन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग लगभग असंभव है।
विशेषज्ञाें का मानना है कि लापरवाही और मोदी सरकार की गलत नीतियाें के कारण भारत आज दुनिया का सबसे ज्यादा प्रभावित देश बनता जा रहा है। इसका असर न केवल भारत पर, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। बावजूद हमारे बड़े बड़े नेता बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां करते दिख रहे हैं और कोरोना संकट की ओर से आंखें बंद किये हुए हैं।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन डाॅ. के श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि अगर हम 4 से 6 हफ्ते कुछ करने के बाद सफलता का ढिंढाेरा पीटते हुए लापरवाही बरतने लगते हैं, ताे हम समस्या की तरफ बढ़ रहे हाेते हैं।
सेंटर फाॅर डिसीज डायनेमिक्स इकाेनाॅमिक्स एंड पाॅलिसी के डायरेक्टर डाॅ. रामानन लक्ष्मीनारायण कहते हैं कि अगर वैक्सीन लगाने की रफ्तार नहीं बढ़ाई गई ताे 70% आबादी काे वैक्सीन लगाने में दाे साल लग जाएंगे।

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