नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव टेलीकास्ट को लेकर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के उस मौखिक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर तमिलनाडु सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी कि कथित तौर पर पूरे तमिलनाडु के मंदिरों में अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लाइव टेलीकास्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन आज हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होंगे। समारोह दोपहर 12.20 बजे शुरू होगा और एक बजे तक उसके पूरा होने की संभावना है।
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और आज अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर पूजा, अर्चना, अन्नधनस्म, भजनों के लाइव टेलीकास्ट पर कोई बैन नहीं है और याचिका सिर्फ राजनीति से प्रेरित है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव टेलीकास्ट पर कोई पाबंदी नहीं
सुप्रीम ने तमिलनाडु के वकील का बयान दर्ज किया जिसमें उन्होंने कहा कि मंदिरों में पूजा अर्चना’ या प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण पर कोई पाबंदी नहीं है। शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु के प्राधिकारियों से, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण पर रोक लगाने के किसी भी मौखिक दिशा निर्देश के आधार पर नहीं बल्कि कानून के अनुसार काम करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में, राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण पर रोक लगाने के मौखिक आदेश का पालन करने के लिए कोई भी बाध्य नहीं है।
‘किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान करने से नहीं रोका जा सकता’- सुप्रीम कोर्ट
तमिलनाडु के मंदिरों में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के तमिलनाडु सरकार के मौखिक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान करने से नहीं रोका जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल ने इस बात पर हैरानी जताई और सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि देश की सर्वोच्च न्यायपालिका से राज्य सरकार को एक कड़ा संदेश जाना चाहिए कि भारत का संविधान अभी भी देश को नियंत्रित करता है और यह तमिलनाडु राज्य पर भी लागू होता है।