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RBI का बड़ा फैसला, अब UPI के जरिए टैक्स पेमेंट की सीमा 5 लाख तक, जानें क्या होगा फायदा

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक के नतीजे आ गए हैं और लगातार 9वीं बार रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नतीजों का ऐलान करते हुए यूपीआई को लेकर एक राहत भरे बदलाव के बारे में घोषणा की। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने UPI के जरिये टैक्स पेमेंट की लिमिट बढ़ा दी है। अब टैक्सपेयर 5 लाख रुपये तक यूपीआई से टैक्स दे पाएंगे। अभी एक लाख रुपये तक लिमिट है। आरबीआई के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का यूजर बेस 42.4 करोड़ पहुंच गया है। आरबीआई इस संबंध में आवश्यक निर्देश अलग से जारी करेगा। इसके अलावा आरबीआई डेलिगेटेज पेमेंट सुविधा भी यूपीआई के जरिए शुरू करने की तैयारी में है।

क्या होगा फायदा…

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास के अनुसार यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। चूंकि डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स पेमेंट, नियमित तथा हाई ट्रांजैक्शन के होते हैं। इसलिए यूपीआई के जरिये टैक्स पेमेंट की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख प्रति लेनदेन करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, यूपीआई के लिए कर भुगतान की सीमा एक लाख रुपये है। विभिन्न उपयोग-मामलों के आधार पर, रिजर्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी बाजार, आईपीओ सब्सक्रिप्शन, लोन कलेक्शन, बीमा, हेल्थ और एजुकेशन सर्विस जैसी कुछ श्रेणियों के लिए सीमाओं की समीक्षा की है और उन्हें बढ़ाया है।

डेलिगेटेड पेमेंट्स शुरू करने का प्रस्ताव…

आरबीआई के गवर्नर दास ने कहा कि ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ से एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते पर किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति मिलेगी। इससे देशभर में डिजिटल भुगतान की पहुंच और उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस संबंध में भी विस्तृत निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगें।
इसके साथ ही आरबीआई ने अनधिकृत कंपनियों की जांच के लिए डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े तैयार करने का प्रस्ताव दिया है। दास ने कहा कि ग्राहकों के हितों की सुरक्षा, डाटा गोपनीयता, ब्याज दरों तथा वसूली प्रक्रियाओं, गलत बिक्री आदि पर चिंताओं से निपटने के लिए दिशानिर्देश दो सितंबर, 2022 को जारी किए गए थे।

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