Thursday , May 15 2025
Breaking News
Home / उत्तराखण्ड / उत्तराखंड: मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश, NCPCR ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को लिखा पत्र

उत्तराखंड: मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश, NCPCR ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को लिखा पत्र

देहरादून। उत्तराखंड में इन दोनों थूक जिहाद का मामला काफी अधिक चर्चाओं में है। इसी बीच राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से देश के सभी मुख्य सचिवों को एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र में मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश की गई है। आयोग ने पत्र में कहा कि बच्चों के मौलिक अधिकार व अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच विरोधाभासी तस्वीर बनाई गई है। केवल धार्मिक संस्थानों में जाने वाले बच्चों को आरटीई अधिनियम 2009 के तहत औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रखा गया, जबकि अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करते हैं।कहा, यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि बच्चों को औपचारिक शिक्षा मिले।

केवल बोर्ड का गठन या यूडीआईएसई कोड लेने का मतलब यह नहीं कि मदरसे आरटीई अधिनियम 2009 का पालन कर रहे हैं। इसलिए यह सिफारिश की गई कि मदरसों और मदरसा बोर्ड को राज्य की ओर से मिल रहा वित्त पोषण बंद कर मदरसा बोर्ड बंद कर देना चाहिए। कहा है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकाल विद्यालयों में भर्ती कराएं। मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसों में पढ़ रहे, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, उन्हें औपचारिक स्कूलों में भिजवाएं।

बता दें प्रदेश के 30 मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बीती मई में देहरादून के कुछ मदरसों के निरीक्षण में कई खामियां पाई थीं। सभी राज्यों के सीएस को पत्र लिख मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश की गई है। कहा गया है कि मदरसों में पढ़ रहे सभी बच्चों को स्कूलों में भिजवाएं।

About team HNI

Check Also

विभागों द्वारा दिसंबर तक बजट का 80 प्रतिशत तक खर्च किया जाए, सीएम धामी ने दिये निर्देश

विभागों द्वारा माह दिसम्बर तक बजट का 80 प्रतिशत तक खर्च किया जाए- मुख्यमंत्री बजट …