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संसद में महुआ ने मोदी सरकार को दिखाया आईना!

  • टीएमसी सांसद मोइत्रा ने कहा- सरकार के दावे झूठे, आंकड़े बता रहे असली ‘पप्पू’ कौन है

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की एडिशनल ग्रांट्स की मांग पर तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार पर झूठे दावों का आरोप लगाया। सीतारमण ने 12 दिसंबर को लोकसभा में कहा था कि 2022-23 के लिए हमें 3.26 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त अनुदान चाहिए। गौरतलब है कि लोकसभा में 12 दिसंबर को देश की अर्थव्यवस्था पर तीखी बहस हुई थी। विपक्ष ने डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए को लेकर सवाल किए। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि संसद में कुछ लोग देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था से जलते हैं। भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन विपक्ष को इससे परेशानी है।
इसे लेकर 13 दिसंबर यानी मंगलवार को बहस हुई। महुआ मोइत्रा की बारी आई तो उन्होंने शुरुआत में ही कहा… पंगा मत लेना। करीब 8 मिनट की स्पीच में उन्होंने इकोनॉमिक आंकड़े गिनाते हुए कहा कि सरकार हमें 10 महीने झूठ दिखाती है। आंकड़े बताते हैं कि असली ‘पप्पू’ कौन है? एक आंकड़ा गिनाते हुए खिसियानी बिल्ली मुहावरे का भी इस्तेमाल किया। महुआ ने 2016 में हुए डिमोनेटाइजेशन पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह पूरी तरह फेल हुआ है क्योंकि अभी भी कैश ही किंग है। महुआ मोइत्रा सिलसिलेवार अपनी बातें कुछ इस तरह रखीं…

1. सरकार यकीन दिलाती है अर्थव्यवस्था अच्छी, लेकिन ये झूठ : महुआ ने कहा, ‘अपनी स्पीच की शुरुआत जोनाथन स्विफ्ट की पंक्तियों से करती हूं। अगर कोई झूठ एक घंटे तक जिंदा रह जाता है तो वह अपना काम कर देता है। झूठ प्रसारित हो जाता है और उसके बाद सच लड़खड़ाता हुआ सामने आता है। सरकार हर साल फरवरी में लोगों को यकीन दिलाती है कि अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी चल रही है। हम दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाले और सबसे ज्यादा क्षमतावान हैं। सभी को गैस सिलेंडर, पक्के घर और बिजली जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं। लेकिन ये सब झूठ है। सच 8-10 महीने बाद दिसंबर में लड़खड़ाता हुआ सामने आता है।’
2. सरकार ही बदनाम करने के लिए ‘पप्पू’ शब्द इस्तेमाल करती है : सांसद ने कहा कि मेरे पास कुछ ऐसे आंकड़े हैं, जिनसे आपको पता चल जाएगा कि आखिर पप्पू कौन है। इस सरकार ने ही पप्पू शब्द दिया है। वे इसका इस्तेमाल बदनाम करने और किसी को नाकाबिल दिखाने के लिए करते हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि असली पप्पू कौन है।
3. आपकी भाषा में ही कहती हूं… पंगा मत लेना : महुआ ने कहा, ‘पिछले दिनों ही मेरे बारे में बे सिर-पैर की बात कही गई। कहा गया कि मनरेगा फंड में घालमेल हुआ है। मैं माउंट होलियोक कॉलेज में पढ़ी। मां काली की पूजा करती हूं। मैं बॉर्डर संसदीय सीट से 2 बार चुनी गई हूं। आपकी ही भाषा में मैं आपसे कहती हूं और यह असंसदीय नहीं है। पंगा मत लेना।’
4. रामदेव को कहा- जड़ी-बूटी बाबा : महुआ ने कहा- एक जड़ी-बूटी बाबा ने पब्लिक में कहा कि उन्हें महिलाएं साड़ी और सलवार में पसंद हैं या फिर वे कुछ भी न पहने हों। एक रूलिंग पार्टी के डिप्टी चीफ मिनिस्टर की पत्नी की मौजूदगी में ऐसा कहा। अपने सीने पर हाथ रखकर पूछिए, अगर किसी भी विपक्षी नेता ने कहीं भी ऐसा बयान दिया होता तो आप उनके खून के प्यासे हो जाते। रूलिंग पार्टी ने इसकी निंदा नहीं की। कोई विरोध नहीं हुआ। हत्यारा और रेपिस्ट पैरोल पर बाहर आता है और उपदेश देता है। रूलिंग पार्टी के नेता उसे सुनते हैं।
5. सरकार इकोनॉमी पर नियंत्रण करे और जनता सरकार पर : टीएमसी सांसद ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आपके पास नैतिक समझ नहीं है कि सही को सही और गलत को गलत कह सकें। अब पप्पू कौन है। लोग मुझसे बोलते हैं कि सॉफ्ट हिंदुत्व के नाम पर चुप रहो। मैं हिंदू हूं, लेकिन किसी भी चीज के साथ नरमी से पेश नहीं आना चाहती। देश को एक चुनी हुई सरकार चाहिए, जिसकी नैतिकता सख्त हो, कानून सख्त हो और अर्थव्यवस्था सख्त हो। कोई भी चीज नर्म नहीं। मैं सरकार और वित्त मंत्री से अपील करती हूं कि इकोनॉमी को नियंत्रण में ले। जनता से अपील करती हूं कि वो उन पर नियंत्रण करें, जिन्हें उन्होंने शासन का अधिकार दिया।’
6. पागल के हाथ में माचिस किसने दी : महुआ ने शायराना अंदाज में कहा, ‘सवाल ये नहीं है कि बस्ती किसने जलाई। सवाल ये है कि पागल के हाथ में माचिस किसने दी।’ ये वो सवाल है, जिसका जवाब भारत जानना चाहता है। शुक्रिया.. जय हिंद।

महुआ ने ये आंकड़े गिनाकर दिखाया आईना

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा- अक्टूबर में देश का औद्योगिक उत्पादन 4% घटकर 26 महीने के निचले स्तर पर आ गया।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, जिसमें अभी भी सबसे ज्यादा नौकरियों दी जा रही हैं, वह भी 5.6% तक सिकुड़ गया है।
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन का इंडेक्स बनाने वाले इंडस्ट्री सेक्टर के 17 सेक्टर की ग्रोथ नेगेटिव रही है।
पिछले एक साल में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 72 अरब डॉलर की गिरावट आई है।
विदेश राज्य मंत्री ने पिछले हफ्ते बताया था कि 1,83,741 लोगों ने 2022 के शुरुआती दस महीनों में अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी है।
केंद्र में 2014 से काबिज मोदी सरकार के 9 साल के दौरान करीब 12.5 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं।

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