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किसान आंदोलन के पक्ष में उतरा संयुक्त राष्ट्र, कहा- ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन का है उनका हक’

सात समंदर पार तक किसान आंदोलन की गूंज

  • भारत की राजधानी दिल्ली में कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने किया भारतीय किसानों के आंदोलन का समर्थन
  • कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मोदी सरकार की आपत्ति को किया दरकिनार

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी भारत में जारी किसानों के प्रदर्शन को लेकर कहा कि लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी किसानों का समर्थन किया था जिसके बाद मोदी सरकार ने विदेशी नेताओं की टिप्पणियों को ‘भ्रामक’ और ‘गैर जरूरी’ बताया था। हालांकि कनाडा के प्रधानमंत्री ने उनकी आपत्ति को दरकिनार करते हुए फिर आंदोलन का समर्थन किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘जहां तक भारत का सवाल है तो मैं वही कहना चाहता हूं कि जो मैंने इन मुद्दों को उठाने वाले अन्य लोगों से कहा है, … यह … कि लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए।’ दुजारिक भारत में किसानों के प्रदर्शन से जुड़े एक सवाल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग लेकर लाखों किसान सड़क पर हैं। दिल्‍ली से लगने वाली सीमाएं ब्‍लॉक कर दी गई हैं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच आज शनिवार को अगले दौर की बातचीत हो रही है। किसान कानून वापस लेने से कुछ भी कम स्‍वीकारने को तैयार नहीं हैं। मोदी सरकार थोड़ी नरम दिख रही है, लेकिन पूरी तरह रोलबैक का फैसला उसके लिए शर्मिंदगी भरा होगा। इसके लिये अधिकारी किसान संगठनों की मुख्‍य आपत्तियों को लेकर माथापच्‍ची कर रहे हैं कि बीच का कोई रास्‍ता निकल आए। मगर किसान संगठनों को इसकी उम्‍मीद कम ही लग रही है और ऐसे में किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाकर सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया है।
देशभर के किसान संगठनों ने भी भारत बंद को अपना समर्थन दिया है। इस संस्‍था के तहत देशभर के 400 से ज्‍यादा किसान संगठन आते हैं। यानी सरकार को यह साफ इशारा कर दिया गया है कि किसान आंदोलन राष्‍ट्रव्‍यापी होने जा रहा है और आने वाले दिनों में यह और बढ़ेगा ही। तृणमूल कांग्रेस, राष्‍ट्रीय लोकदल जैसी पार्टियों ने खुलकर आंदोलन का समर्थन किया है तो बाकी विपक्षी दल भी सरकार को घेरे हुए हैं। कुछ राजनीतिक दल भारत बंद को भी अपना समर्थन दे सकते हैं।
जरूरी सेवाओं को छोड़कर शायद हर जगह किसान संगठनों ने दिल्‍ली के बॉर्डरों पर कब्‍जा कर लिया है। 8 दिसंबर को भारत बंद वाले दिन, देशभर में चक्‍का जाम की तैयारी है। रेल सेवाओं को भी प्रभावित करने की कोशिश होगी। कृषि आधारित इलाकों में बंद का व्‍यापक असर देखने को मिल सकता है। बाजार से लेकर सामान्‍य जनजीवन पर बुरा असर पड़ने की पूरी संभावना है। सड़कें जाम होने से सप्‍लाई चेन्‍स और ट्रांसपोर्ट सर्विस‍िज की कमर टूट सकती है। अगर राजनीतिक दल भी भारत बंद के समर्थन में उतरते हैं तो फिर उसके असर का दायरा और बढ़ सकता है। इमर्जेंसी और जरूरी सेवाओं को बंद से दूर रखने की बात किसान संगठन कहे चुके हैं।
ट्रूडो ने भारत में आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि शांतिपूर्ण विरोध के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा साथ रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने स्थिति पर चिंता जताई थी। भारत ने इस बयान पर नाराजगी जताई थी लेकिन ट्रूडो अपने रुख पर कायम रहे। ट्रूडो ने फिर कहा है, ‘कनाडा हमेशा दुनियाभर में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध-प्रदर्शन के अधिकार के समर्थन में खड़ा रहेगा। और हम तनाव को घटाने और संवाद के लिए कदम उठाए जाने से बेहद खुश हैं।’

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