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रामदेव की दवाओं को नोटिस क्या दिया, आ गया भूचाल!

कैसे कर दी ये हिमाकत

  • धामी सरकार ने दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी करने वाले अफसर से ही किया जवाब तलब
  • मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते निदेशालय से लेकर शासन तक सबके मुंह सिले

देहरादून। उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग के अधिकारी ने बाबा रामदेव से जुड़ी दिव्य फार्मेसी को दवाओं के उत्पादन पर नोटिस जारी क्या किया, राज्य में भूचाल आ गया और तमाम तरह के चर्चे हवाओं में तैरने लगे कि आखिरकार ये हिमाकत कैसे कर दी गई। किसी से भी जवाब देते नहीं बन रहा है। अपनी नाक बचाने के लिये शासन ने इतना बड़ा साहसिक कदम उठाने वाले यानी नोटिस जारी करने वाले इस अधिकारी से ही जवाब तलब कर लिया है।
खास बात ये है कि मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते निदेशालय से लेकर शासन तक कोई भी इस पर बोलने को तैयार नहीं है। बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी का मामला सार्वजनिक होने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया है। गौरतलब है कि एक तरफ आयुर्वेद विभाग के अधिकारी डॉ. जीपीएस जंगपांगी ने फार्मेसी की पांच दवाओं के निर्माण समेत उसके प्रचार-प्रसार को रोके जाने से जुड़ा पत्र दिव्य फार्मेसी को भेजा है तो दूसरी तरफ बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी ने उल्टा विभाग की कार्रवाई पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में बड़ी और एक्सक्लूसिव खबर यह है कि दिव्य फार्मेसी को नोटिस देने वाले इस अधिकारी से ही शासन ने जवाब तलब कर लिया है। सूत्रों के अनुसार इस अधिकारी से शासन ने पूछा है कि आखिर दिव्य फार्मेसी को दिए गए नोटिस का क्या आधार है और इसको लेकर अधिकारी को जवाब देने के लिये पत्र भी भेज दिया गया है।
उधर सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग के अधिकारी डॉ. जीपीएस जंगपांगी ने इस बात पुष्टि की कि उनसे शासन द्वारा जवाब मांगा गया है। शासन के इस एक्शन के बाद मामले में और भी ज्यादा विवाद होने की आशंका है क्योंकि मामला बाबा रामदेव से जुड़ा होने के चलते यह पूरा केस हाई प्रोफाइल हो गया है। ऐसे में एक जिम्मेदार अधिकारी से जवाब तलब करने पर सरकार के रवैये को लेकर भी सवाल खड़े हो सकते हैं
गौरतलब है कि भ्रामक विज्ञापनों’ का हवाला देते हुए आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी, उत्तराखंड ने पतंजलि के उत्पादों को बनाने वाली दिव्य फार्मेसी को 5 दवाओं का उत्पादन रोकने का आदेश दे दिया है। दिव्य फार्मेसी को भेजे गए लेटर में ज्वाइंट डायरेक्टर और ड्रग कंट्रोलर डॉ. जीसीएन जंगपांगी ने कंपनी को मीडिया स्पेस से तुरंत ‘भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों’ को हटाने को कहा है। भविष्य में स्वीकृत विज्ञापन ही चलाने की सलाह देते हुए उत्पादन लाइसेंस वापस लिए जाने की चेतावनी दी गई है। अथॉरिटी ने इस मुद्दे पर कंपनी से एक सप्ताह में जवाब भी मांगा है।
इस पर बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की प्रतिक्रिया आई है। दिव्य फार्मेसी की ओर से कहा गया है कि उनके द्वारा जितने भी उत्पाद व औषधियां बनाई जाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं। पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रीक्लिनिकल व क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है, उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा। जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया. चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार पतंजलि संस्थान ने ही किया है।

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