देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट से गरमाई सियासत भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के इस्तीफे की खबर से सुलग गई है। सियासी हलकों में हड़कंप मच हुआ है। दरअसल शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान कोटद्वार मेडिकल कालेज से संबंधित प्रस्ताव न लाए जाने से नाराज हरक सिंह रावत कैबिनेट बैठक छोड़कर चले गए और इस्तीफे की पेशकश की। हालांकि कैबिनेट की बैठक के दौरान हरक ने मौखिक रूप से इस्तीफा दिया। लेकिन बाद में कैबिनेट ने कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दे दी। उससे पहले ही हरक कैबिनेट बैठक को बीच में छोड़कर निकल आए थे। उनका यह कहना था कि उनकी स्वीकृत योजनाओं को लटकाया जा रहा था। चूंकि अब उनकी स्वीकृत योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है तो देखना यह है कि हरक का अगला कदम क्या होगा। वहीं सूत्रों के मुताबिक हरक की मुख्यमंत्री धामी से देर रात बातचीत चली। जिसके बाद बाद हरक सिंह रावत अपने इस्तीफा देने की फैसले से पीछे हट सकते हैं। उधर, रायपुर क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के भी भाजपा छोड़ने की चर्चा है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई।चुनावी दहलीज पर खड़ी बीजेपी के लिए हरक सिंह का इस्तीफा बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है। वैसे तो मंत्री हरक सिंह रावत लंबे समय से ही सरकार से नाराज़ चल रहे हैं। बता दें कि सरकार में इस साल जुलाई में दूसरी बार हुए नेतृत्व परिवर्तन होने पर नाराज हरक ने मंत्री पद की शपथ लेने में आनाकानी की थी। हालांकि, बाद में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के सक्रिय होने पर मामला सुलझ गया था। इस बीच हरक सिंह रावत लगातार ही अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में मेडिकल कालेज का मुद्दा उठाते आ रहे हैं, लेकिन इसका समाधान नहीं हो पाया है। पूर्व में उन्होंने कर्मकार कल्याण बोर्ड के माध्यम से इसके लिए धनराशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। यह राशि भी कार्यदायी संस्था को दे दी गई थी, लेकिन फिर पेच फंस गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर यह राशि वापस ले ली गई थी। यही नहीं, हरक समय-समय पर चुनाव न लड़ने की बात भी करते आए हैं। कई बार उनकी कांग्रेस में घर वापसी की चर्चाएं भी होती रही हैं।हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं सियासी गलियारों में पिछले काफी अरसे से चल रही थी। लेकिन अभी वे कांग्रेस में शामिल होंगे या नहीं ये आने वाला समय बताएगा। लेकिन हरक सिंह रावत ने एक बार फिर अपना इतिहास दोहराया है। हरक सिंह बतौर मंत्री अपना अभी तक कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये हैं।
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