- मुख्यमंत्री की व्यस्तता को देखते हुए मिलने के लिए आग्रह न करने का किया दावा
देहरादून। बिना सूचना दिये भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाये गये श्रम मंत्री हरक सिंह और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच शनिवार को भी कोई बात नहीं हो पाई। हालांकि आज रविवार को भी एक समारोह में दोनों नेता एक ही मंच पर उपस्थित रहे, लेकिन आपस में कोई बात न हो पाई। हरक ने शनिवार को भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे रखी। उनकी नाराजगी बरकरार है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को हरक सिंह ने कहा था कि वह 2022 का चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उनकी इस घोषणा को कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से बाहर हो जाने से उपजी नाराजगी से जोड़ कर देखा गया। हरक के निकटस्थ लोगों के मुताबिक नवरात्र और दशहरे की व्यस्तता को देखते हुए सीएम से मिलने के लिए आग्रह नहीं किया गया। लगता है कि इस मामले को लेकर हरक भी मुख्यमंत्री से मिलने को लेकर कोई जल्दबाजी में नहीं है।
हालांकि आज रविवार को एक वेलनेस सेंटर के उद्घाटन में दोनों ही नेता आमंत्रित हैं, लेकिन एक जगह और एक ही मंच पर होने पर भी दोनों में बातचीत नहीं हो पायी। उधर श्रम मंत्री हरक सिंह ने श्रम विभाग से भी फिलहाल दूरी बना ली है। शासन स्तर पर शुक्रवार को प्रस्तावित श्रम विभाग की बैठक को श्रम मंत्री ने खुद की निरस्त कर दिया। उनका कहना था कि बोर्ड के मामले में सीएम से बात करने के बाद ही वह कोई और फैसला लेंगे।
उधर इस मामले को लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि यह मामला सत्ता पक्ष के नेतृत्व की विफलता का है। प्रीतम के मुताबिक सत्ता पक्ष अपने मंत्री के साथ ही बेहतर व्यवहार नहीं कर पा रहा है। हैरानी की बात यह है कि मंत्री को बताए बिना बोर्ड का पुनर्गठन हो रहा है। इससे पहले रेखा आर्य और एक अफसर का विवाद भी सामने आया था। सत्ता पक्ष के विधायक खुलकर अपनी सरकार की किरकिरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मुख्यमंत्री को देखना चाहिए कि उनके एक वरिष्ठ मंत्री की इस तरह से अनदेखी न की जाए।