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चमोली के सैकोट में गम और खुशी का अनूठा उत्सव

  • आखिरी बार धान की रोपाई कर खेतों को दी विदाई
  • ढोल-दमाऊं की थाप पर गाए जागर गीत
  • रेलवे स्टेशन के लिए 200 नाली भूमि हो रही अधिग्रहीत

गोपेश्वर। चमोली जिले के सैकोट के ग्रामीणों के लिए गुरुवार का दिन गमजदा भी था और खुशियों की सौगात देने वाला भी। गमजदा इसलिए उनकी पीढ़ियों पुरानी जमीन रेलवे स्टेशन के लिए अधिग्रहित की गई है। जिन खेतों से इन गांव के लोगों ने अन्न ग्रहण किया था, जिनसे उनके परिवार का भरण-पोषण होता था। आज वो सदा के लिए उनसे दूर हो जाएगी। अन्न का भंडार देने वाले माटी की खुशबू सदा के लिए छिन जाएगी। लेकिन, खुशी इस बात की भी थी कि आने वाले समय में गांव से होकर रेल गाड़ी छुक-छुककर की अवाज करती हुई गुजरेगी। विकास की पटरी पर उनका गांव भी दौड़ेगा। यही सोचकर किसानों ने अपने खेत सरकार को सौंप दिए। अपने माटी की महक से बिछड़ने पर गांव की महिला-पुरुषों ने अपने खेतों को ढोल-दमाऊं की थाप पर एक प्रकार से विदाई दी। जागर गाती महिलाओं ने पानी से भरे खेतों में धान रोपे। आंखों में आसुओं का समंदर बहाते हुए नम आंखों से आखिरी बार की रोपाई की। उन्होंने गम और खुशी का अनूठा उत्सव मनाया।

गोपेश्वर से सैकोट गांव करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है। रेलवे स्टेशन के लिए गांव की करीब 200 नाली भूमि अधिग्रहीत की गई है। गांव में करीब 150 परिवार रहते हैं। ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि व पशुपालन है। यही कारण है कि इस गांव पर आज तक पलायन की काली छाया नहीं पड़ी। गांव में मकानों के आसपास ही दूर-दूर तक बड़े-बड़े खेत हैं। सुबह खेतों में पानी लगाने के बाद महिलाओं ने जीतू बगड़वाल के जागरों के साथ धान की रोपाई की। अक्षत नाट्य संस्था के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी, विजय वशिष्ठ, हरीश सेमवाल, चंडी थपलियाल, ओम प्रकाश पुरोहित, उमेश चंद्र थपलियाल, विवेक नेगी आदि इस दौरान मौजूूद रहे।

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