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हरदा के चेले ने गुरु को यूं किया याद…’कांपते हाथों से शमशीर नहीं उठा करती’!

वक्त की हर शै गुलाम

  • रणजीत रावत ने अपने अंदाज में हरीश रावत की शान में पेश किया शेर
  • गोदियाल के स्वागत की महफिल लूट ले गये हरीश, कांग्रेस दिखी पर गुटों में
  • प्रीतम गुट ने अलग से निकाला जुलूस, कार्यक्रम तो नारों से भी रहा असहज

देहरादून। नये नवेले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के स्वागत समारोह की महफिल तो हरदा लूट ले गए। अहम बात यह रही इस आयोजन में भी कांग्रेस की धड़ेबाजी साफ दिखाई दी। एक तरफ ये रहा तो दूसरी ओर कभी ‘सियासी चेले’ रहे रणजीत रावत ने अपने गुरु हरदा की सक्रियता पर तंज करते हुए अपने अंदाज में एक शेर यूं पेश किया…‘कांपते हाथों से शमशीर नहीं उठा करती’। इसके बाद मौके पर मौजूद मीडिया और सियासतदां लोगों ने इस पर खूब चटखारे लिये।  
बीते मंगलवार को जौलीग्रांट एयरपोर्ट से कांग्रेस मुख्यालय तक जुलूस में खासी भीड़ रही। इस दौरान सबसे ज्यादा नारे ‘हरीश जिंदाबाद’ के ही सुनाई दिए। गोदियाल के भी नारे लगे, लेकिन महफिल तो हरदा ही लूट ले गए। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम का एक भी नारा नहीं लगा। इससे असहज प्रीतम ने मंच से कहा कि पहले चुनाव तो जीत लो फिर कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाना।
अहम बात यह भी रही कि गणेश गोदियाल और हरीश रावत के जुलूस में प्रीतम गुट ने शिरकत नहीं की। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी नहीं दिखे। अलबत्ता प्रीतम, कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत, भुवन कापड़ी, कोषाध्यक्ष आर्येंद्र शर्मा, वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना, संदीप सहगल आदि नेताओं ने ईसी रोड से अपना अलग जुलूस निकाला और कांग्रेस कार्यालय पहुंचे। यहां प्रदेश प्रभारी यादव भी कुछ देर के लिए आए।
कार्यक्रम भी गुटबाजी से अछूता नहीं रहा। मंच से तमाम नेताओं ने संबोधित किया। पर कार्यकारी अध्यक्ष का एक शेर सबसे अलग रहा। रणजीत ने कहा… ‘हौसले उड़ानों की बुनियाद होते हैं लेकिन कांपते हाथों से शमशीर नहीं उठा करती।’ शेर पर तालियां भी खूब बजी। जब तक लोग शेर का मतलब समझते तब तक बात बहुत दूर तक निकल गयी। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव समेत कई अन्य कांग्रेसजनों की मौजूदगी में दागे गए इस शेर के बहाने रणजीत रावत ने अपने राजनीतिक गुरु पर निशाना साधा।
इस शेर के बहाने रणजीत रावत ने कांग्रेसजनों को भी यह संदेश देने की कोशिश की कि उम्र के इस पड़ाव पर खड़े हरीश रावत अब कांपते हाथों से जिम्मेदारी की ‘तलवार’ नहीं उठा सकते। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस की राजनीति में पूर्व सीएम हरीश रावत और रणजीत रावत का 35 साल का साथ रहा। रणजीत रावत उनके दाहिना हाथ माने जाते रहे। सीएम बने हरीश रावत के समय रणजीत रावत सत्ता के केंद्र बिंदु थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तलवारें खिंचीं। अब तक बोलचाल और दुआ सलाम तक बंद है। सल्ट उपचुनाव के समय भी बेटे का टिकट कटने के बाद रणजीत रावत ने अपने सियासी गुरु से जुड़ी कुछ खास बातें उठाकर प्रहार किया था। जिनकी मीडिया में खूब चर्चा रही थी।

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