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उत्तराखंड: धंस रहे पहाड़! देश के सबसे लंबे जोशीमठ-औली रोप वे पर खतरा, 513 परिवार संकट में…

जोशीमठ। उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम की यात्रा का मुख्य पड़ाव जोशीमठ धंसने की कगार पर है। यहां 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। अधिक खतरे की जद में आए पांच परिवार मकानों को छोड़कर रिश्तेदारों के घरों में रह रहे हैं। भू-धंसाव की घटनाओं को लेकर शनिवार को जोशीमठ में हजारों लोगों ने नगर में विशाल जन आक्रोश रैली निकाली। इस दौरान नगर के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।

जोशीमठ नगर में पिछले साल सितंबर-अक्तूबर में अचानक गांधीनगर, सुनील और रविग्राम वार्ड के कुछ घरों में दरारें आनी शुरू हुई। शुरुआत में 30-40 मकानोंं में दरारें आई। उस वक्त बारिश आने पर प्रशासन ने कुछ दिनों के लिए इन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था।

स्थानीय लोगों ने तभी से प्रशासन के सुरक्षात्मक उपाय करने की मांग शुरू कर दी थी। लेकिन इसको लेकर शासन-प्रशासन से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। नगर पालिका के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि पालिका लगातार भू धंसाव को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रही है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार नगर के सभी वार्डों में 513 मकानों में दरों आ गई हैं। एक साल पहले भू धंसाव शुरू हुआ और अब तेजी से पूरा नगर इसकी चपेट में आ रहा है। वहीं लोगों का कहना है कि यहां बनने वाली तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की टनल के कारण जोशीमठ में भू-धंसाव हो रहा है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

वहीं नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर रोपवे संचालन बंद कराने की मांग की है। उनका कहना है कि जिस जगह पर रोपवे के टावर हैं वहां भी दरारें आ रही हैं। मनोहर बाग वार्ड में दो माह से भू धंसाव तेज हुआ है। इसी वार्ड में रोपवे का दो नंबर टावर है, जबकि तीन नंबर टावर सुनील वार्ड में है, यहां भी भू धंसाव हो रहा है। यहां जमीन में आ रही दरारें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में रोपवे के यह टावर कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। जिससे पर्यटकों व स्थानीय लोगों की जनहानि होने की आशंका बनी हुई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए रोपवे का संचालन शीघ्र बंद किया जाए। रोपवे जोशीमठ के मैनेजर दिनेश भट्ट का कहना है कि उन्होंने रोपवे के सभी 10 टावरों का बारीकी से निरीक्षण किया है। फिलहाल रोपवे को कोई खतरा नहीं है। टावर नंबर दो और तीन जिस जगह लगे हैं उसके आसपास भू धंसाव हो रहा है, भविष्य में टावर को खतरा हो सकता है। फिलहाल रोपवे का संचालन सुरक्षित है।

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