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हाल ए उत्तराखंड : सरकारी वेतन और पेंशन पर ही खर्च हो रहा आधा बजट!

  • अगले तीन साल में एक लाख करोड़ के कर्ज के बोझ में दब जाएगी देवभूमि, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

देहरादून। तमाम घोषणाओं और वादों के बीच उत्तराखंड पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है और अगले तीन साल में एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा। पांचवें राज्य वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति का जो अनुमान लगाया है, वह राज्य के नीति नियामकों के लिए चौकस रहने का एक संकेत है। राज्य सरकार के ही बजट दस्तावेज से रिपोर्ट में किए गया विश्लेषण बताता है कि 2021-22 तक राज्य सरकार पर 73,477.72 करोड़ रुपये का कर्ज था। अगले पांच वर्ष में अनुमान है कि राज्य सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 54,496 करोड़ रुपये का और कर्ज ले सकती है।रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी से अगले पांच साल में करीब 6720 करोड़ रुपये से 10,574 करोड़ रुपये तक राजस्व प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया है। जबकि इस अवधि में कर्ज का अनुमान प्रति वर्ष 8982 करोड़ से लेकर 12994 करोड़ रुपये है। यानी उत्तराखंड पर आने वाले तीन साल में ही एक लाख करोड़ के पार कर्ज हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के कुल राजस्व व्यय यानी कुल बजट का 50 फीसद वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है। वर्ष 2016-17 तक इस खर्च का अनुपात राजस्व व्यय का 50 प्रतिशत था, जो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद 55 फीसदी तक हो गया। 2022-23 के बजट में 54.83 फीसदी तक का अनुमान है। इस वित्तीय वर्ष में 21,867 करोड़ रुपये वेतन एवं पेंशन पर खर्च का अनुमान है।आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि राज्य सरकार को अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आय में बढ़ोतरी करनी होगी। उसे उन क्षेत्रों का चुनाव करना होगा, जहां से सरकार को अधिक आय प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा अनुदान हासिल करने के लिए उसे समयबद्ध, रणनीतिक और लगातार प्रयास करने होंगे।राज्य सरकार ने केंद्र पोषित योजनाओं में अगले पांच साल में करीब 86 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त करने का अनुमान लगाया है। आयोग ने राज्य वित्त का जो मूल्यांकन किया है, उसके मुताबिक अनुमान है कि राज्य सरकार 2023-24 से लेकर 2026-27 तक की अवधि में प्रत्येक वर्ष औसतन 21 हजार करोड़ रुपये के हिसाब से अनुदान जुटा सकती है।

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