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रेखा से पटरी नहीं बैठी तो सौजन्या से छिना महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास सचिव का दायित्व!

देहरादून। शासन ने सचिव पद पर तैनात आईएएस अधिकारी सौजन्या से महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग का पदभार हटा दिया है। अब अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को यह जिम्मेदारी दी गई है। विभाग से सौजन्या के कार्यमुक्त होने की वजह राज्यमंत्री रेखा आर्य और आईएएस अफसर षणमुगम को लेकर गरमाए विवाद को माना जा रहा है। सचिवलाय के गलियारों में यह चर्चा गर्म थी कि विवाद के चलते सौजन्या विभाग में बने रहने की इच्छुक नहीं हैं। 
सूत्रों के अनुसार सौजन्या उत्तराखंड सरकार की ऐसी तीसरी आईएएस अफसर हैं, जिनकी राज्यमंत्री रेखा आर्य से पटरी नहीं बैठी। उनसे पहले अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी जब महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव थीं, तब राज्यमंत्री से उनका तालमेल नहीं बन पाया था। उन्होंने तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर विभाग से कार्यमुक्त होने की ख्वाहिश की थी। इसके बाद वह राज्यमंत्री के महकमे से मुक्त हो गई थीं।
कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार सचिव सौजन्या के पास मुख्य निर्वाचन अधिकारी, सचिव निर्वाचन, वित्त का दायित्व बरकरार रहेगा। आयुक्त कुमाउं मंडल व सचिव मुख्यमंत्री अरविंद सिंह ह्यांकी को सचिव वन का अतिरिक्त प्रभार का आदेश निरस्त कर दिया गया है। कार्मिक विभाग ने यह आदेश 25 सितंबर को जारी किया था। सचिव वन का अतिरिक्त प्रभार आईएएस अफसर रविनाथ रमन को दिया गया है। प्रभारी सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय को सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी दी गई है।
आईएएस अधिकारी वी षणमुगम प्रकरण में चल रही जांच के पूरे होने में अभी कुछ और दिन लगने की संभावना है। अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार इस मामले की जांच कर रही हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव ने उन्हें यह जांच सौंपी थी। जांच रिपोर्ट का बेताबी से इंतजार हो रहा है।
गौरतलब है कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक वी.षणमुगम और राज्यमंत्री रेखा आर्य के बीच विवाद हो गया था। रेखा ने निदेशक पर उनका फोन न उठाने, उनकी अनदेखी करने और टेंडर प्रक्रिया में मनमानी का आरोप लगाते हुए पुलिस में उनकी गुमशुदगी की तहरीर भी दी थी। इस बाबत आईएएस एसोसिएशन ने भी मुख्य सचिव से शिकायत की थी।
हालांकि जांच शुरू होने के बाद से विवाद ठंडा है। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद राज्यमंत्री रेखा आर्य भी शांत हैं। उधर अपर मुख्य सचिव की जांच के एक हफ्ते में पूरा होने की संभावना थी, लेकिन पत्रावलियों की जांच पड़ताल में समय लग रहा है। अब जांच पूरी होने में चार दिन का और समय लगने की संभावना जताई जा रही है।

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