- उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष ने लगाया आरोप, प्रेमचंद के अध्यक्ष रहने के दौरान विधानसभा में हुई 129 भर्तियों में बड़ा झोल
देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने आरोप लगाया है कि फिलहाल काबीना मंत्री एवं पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में हुई 129 भर्तियों में बड़ा झोल हुआ है।
आज गुरुवार को माहरा ने कहा कि राज्य गठन हुए 22 साल हो चुके हैं, लेकिन जिस अवधारणा के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था, उसको भाजपा राज में हर स्तर पर तार-तार किया जा रहा है। राज्य के युवाओं के साथ छलावा करते हुए जिस तरह से विधानसभा में बड़े-बड़े नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि राज्य में अंधेर नगरी चैपट राजा वाली स्थिति हो रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन वहां की विधानसभा में भी मात्र 543 कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं, लेकिन 70 विधानसभाओं वाले छोटे से राज्य उत्तराखंड ने नौकरियां बांटने के मामले में उत्तर प्रदेश को भी पछाड़ दिया है। 85 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे राज्य उत्तराखंड की विधानसभा में कर्मचारियों की संख्या 560 पार कर गई है। जिन लोगों को नौकरियां मिली हैं उनकी पृष्ठभूमि पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।
माहरा ने कहा कि जिस तरह से नेताओं ने अपने करीबियों को नौकरी दिलवाने के लिए पैरवी की है, वह सरासर उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के साथ कुठाराघात है। यह सच बात है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी आज विकराल रूप ले चुकी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ पहुंच वाले और बड़े लोगों के सगे संबंधियों को ही मौका दिया जाए।
माहरा ने कहा कि अवसर सबके लिए एक समान होने चाहिए और कोई भी भर्ती हो, वह मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। पैसा लेकर नौकरी देने की जिस तरह की बातें सूत्रों से निकल कर आ रही हैं, यदि उसमें सत्यता है तो यह राज्य के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और घातक है। उन्होंने कहा कि जिन 129 लोगों को विधानसभा में रखा गया है उनमें से ज्यादातर लोगों की सफेदपोशों के साथ निकटता सर्वविदित है। पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पीआरओ, संगठन महामंत्री अजेय कुमार के पीआरओ, सीएम के दो ओएसडी की पत्नियां भी इनमें शामिल हैं। यह तो सिर्फ बानगी मात्र है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने इस तरह की कार्यप्रणाली और परिपाटी की निंदा करते हुए कहा कि यह राज्य के लिए बहुत ही अधिक चिंतनीय और घातक है क्योंकि यही परिपाटी युवाओं में हो रहे आक्रोश और अवसाद को जन्म दे रही है। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के भविष्य के लिए इस तरह की बंदरबांट अच्छे संकेत नहीं हैं।