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पेयजल निगम के पूर्व एमडी पर कसा शिकंजा

  • आय से अधिक सम्पत्ति, गलत नियुक्ति समेत पेयजल योजनाओं में धाधली का आरोप
  • विजिलेंस ने की जांच शुरू, शासन स्तर पर जांच जारी

देहरादून। आय से अधिक सम्पत्ति मामले में उत्तराखंड पेयजल निगम के पूर्व प्रबन्ध निदेशक भजन सिंह पर विजिलेंस ने भी शिकंजा कस दिया है। विजिलेंस ने भजन सिंह के घपले-घोटालों की जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर शासन स्तर पर भी उनके खिलाफ जांच जारी है। आईएएस नीरज खैरवाल जांच कर रहे हैं। हाईकोर्ट में भी भजन सिंह के भ्रष्टाचार की याचिका पर अंतिम सुनवाई हो गई है, जिसका फैसला आना बाकी है। चारों तरफ घिरने से भजन सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सूत्रों की मानें तो भजन सिंह पर जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है। भजन सिंह करीब 10 वर्षों तक पेयजल निगम के प्रबन्ध निदेशक के पद पर रहे हैं, लेकिन पूरे कार्यकाल में वह पेयजल योजनाओं में घपले घोटालों के चलते विवादों में रहे हैं। निर्माण कार्यों के टेंडर में भी गड़बड़ी के उन पर कई आरोप हैं।
उन पर यह भी आरोप है कि एमडी की नियमावली में फेरबदल कराकर वह लंबे समय तक नियम विरुद्ध तरीके से पद पर बने रहे। जबकि वह निगम में वरिष्ठता में काफी कनिष्ठ हैं। इसके बावजूद वह कुर्सी पर जमे रहे।
यही नहीं रिटायरमेंट के बाद भी वह आखिरी तक एक्सटेंशन की जुगत में लगे रहे, लेकिन उनकी यह मुराद पूरी नहीं हो पाई और वह बड़े बेआबरू होकर रिटायर हो गए।
बताया तो यह भी जा रहा उनकी और से रिटायरमेंट पार्टी जीएमएस रोड स्थित एक होटल में रखी गई थी, लेकिन पार्टी में एक दर्जन भी अधिकारी-कर्मचारी नहीं पहुंचे। इससे बड़ा दुर्भाग्य किसी के लिए और क्या हो सकता है की 60 साल की सेवा के बाद भी वह साठ लोगों को भी पार्टी में नहीं जुटा सके। इससे जाहिर होता है कि साहब हमेशा धन के पीछे भागते रहे। निगम कर्मों की समस्याओं को कभी उन्होंने तब्बजो नहीं दी और न कभी समस्याओं को हल करने का ही प्रयास किया। शायद यही वजह है कि कर्मचारी उनसे इतने विमुख होते चले गए की आज किसी को उनके रिटायर होने पर लेशमात्र भी गम नहीं है।
यह बात भी सर्वविदित है कि अकेले तो कोई स्वर्ग भी नहीं जा सकता है। वहां जाने के लिए करोड़ों रुपये और अकूत धन-दौलत की नहीं, बल्कि चार लोगों के कांधा देने की जरूरत पड़ती है। यदि जिन्दगी भर तक कोई चार लोगों को भी नहीं जोड़ पाया तो ऐसी जिन्दगी को लानत है। यहां किसी को हतोत्साहित या दिल को ठेस पहुंचाने की मंशा नहीं है।
बहरहाल मुद्दा यह है कि घपले-घोटालों के चलते पूरी 60 साल की सेवा में विवादों में रहे भजन सिंह रिटायरमेंट के बाद भी सुकून की जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और एमडी के पद पर गलत नियुक्ति से सम्बंधित कई याचिकाएं हाईकोर्ट में चल रही है।
सरकार भी हाईकोर्ट में जबाव देते-देते थक गई थी, जिसके बाद सरकार ने उन्हें एमडी के पद से हटाने का फैसला लेकर रिटायरमेंट तक उन्हें पेयजल सलाहकार बनाया। एमडी के पद से हटने के दो माह बाद वह सलाहकार के पद से एक सप्ताह पूर्व 30 सितम्बर को रिटायर हो गए हैं।
बता दें कि रिटायरमेंट से करीब दो माह पूर्व भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उन्हें एमडी के पद से हटा दिया था और उनके भ्रष्टाचार की जांच आईएएस नीरज खैरवाल को सौंपी थी।
जांच एक माह में पूरी करने के भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे। लेकिन अभी तक जांच अधिकारी ने रिपोर्ट नहीं सौंपी। बताया जा रही है कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है। जल्द ही सीएम को जांच रिपोर्ट सौंपे जाने की चर्चा है। कर्मचारी संगठन भी लगातार भजन सिंह के भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते आ रहे हैं। जिससे सरकार भी दबाव में है।
उधर, मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में गठित राज्य सतर्कता समिति की बैठक में भजन सिंह के खिलाफ विजिलेंस जांच की संस्तुति की गई, जिसके बाद शासन ने आरोपों की जांच विजिलेंस को सौंप दी। विजिलेंस ने इंस्पेक्टर तुषार बोरा को जांच अधिकारी बनाया है। विजिलेंस अफसरों ने भजन सिंह के आय से अधिक सम्पत्ति मामले के दस्तावेजों की पड़ताल शुरू कर दी है। विजिलेंस से जुड़े अफसरों ने जांच शुरू करने की पुष्टि की है। जल्द ही भजन सिंह पर विजिलेंस कड़ा शिकंजा कस सकती है।

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