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उत्तराखंड के दो शहरों में कूड़े से बिजली बनाने का काम शुरू, जानिए क्या हैं इसके फायदे

देहरादून। उत्तराखंड के दो शहरों में कूड़े से बिजली बनाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है। वेस्ट टू एनर्जी मॉडल के तहत शहरों में पैदा होने वाले कूड़े से बिजली और खाद बनने लगी है। शहरी विकास विभाग के अधीन रुद्रपुर नगर निगम और मसूरी नगर पालिका ने वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी के तहत कूड़े के ढेर से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है।

रुद्रपुर नगर निगम ने 2022 में वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी के तहत पीपीपी मॉडल पर आधारित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना की। यह प्लांट प्रतिदिन 50 टन कूड़े का निस्तारण करने की क्षमता रखता है और वर्तमान में 30 टन कूड़े से 6 किलोवॉट बिजली और जैविक खाद “कल्याणी” उत्पादन कर रहा है। रुद्रपुर में प्रतिदिन 105-118 मीट्रिक टन कूड़ा उत्पन्न होता है, जिसे अब ऊर्जा और खाद के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

मसूरी नगर पालिका ने भी इसी साल मई से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से उत्पादन शुरू कर दिया है। पीपीपी मोड के इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन आठ टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण की है, इस कूड़े से नगर पालिका बायो गैस पैदा करती है, साथ ही जैविक खाद का भी उत्पादन किया जा रहा है। इससे मसूरी जैसे पयर्टक स्थल पर कूड़े की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण संभव हो पाया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार पहले दिन से ही इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाने पर जोर दे रही है। ग्रीन इकोनॉमी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्रम में निकायों में कूड़े से बिजली पैदा की जा रही है। इसके लिए वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी भी तैयार की गई है। हम हर हाल में उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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