नई दिल्ली। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा भाजपा सांसद सनी देओल के जुहू स्थित बंगले की ई-नीलामी को रोक दिया गया है। अब इस पर विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस ने नीलामी नोटिस वापस लेने पर पूछा कि इसे वापस लेने के लिए ‘तकनीकी कारणों’ को किसने उकसाया है।
दरअसल बॉलिवुड अभिनेता और गुरदासपुर से बीजेपी सांसद सनी देओल को समय पर लोन नहीं चुकाना महंगा पड़ा। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 56 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सनी देओल की प्रॉपर्टी को नीलामी के लिए रख दिया। ऑनलाइन माध्यम से 25 अगस्त को नीलामी की तारीख तय की गई। हालांकि 24 घंटे के अंदर बैंक ने इस नोटिस को वापस ले लिया।

रविवार को पब्लिश हुआ था नोटिस…
इससे पहले रविवार को पब्लिश हुए नोटिस के मुताबिक सनी ने 56 करोड़ रुपए लोन लिया था, जिसे उन्होंने चुकाया नहीं। लोन न चुका पाने पर 25 सितंबर को बंगले की नीलामी की तारीख भी दी गई थी। नोटिस के अनुसार, सनी विला के अलावा 599.44 वर्ग मीटर की प्रॉपर्टी में सनी साउंड्स भी शामिल है, जिस पर देओल फैमिली का मालिकाना हक है। सनी साउंड्स कर्ज का कॉर्पोरेट गारंटर है। सनी के पिता धर्मेंद्र इस कर्ज के पर्सनल गारंटर हैं। नोटिस के अनुसार, नीलामी को रोकने के लिए अभिनेता के पास अब भी बैंक को बकाया चुकाने का विकल्प था। अचानक बैंक ने इस नोटिस को वापस ले लिया।
जयराम रमेश ने उठाया सवाल…
वहीं इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘कल दोपहर को देश को पता चला कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने भाजपा सांसद सनी देओल के जुहू स्थित आवास को ई-नीलामी के लिए रखा है क्योंकि उन्होंने बैंक के 56 करोड़ रुपए नहीं चुकाए हैं। आज सुबह 24 घंटे से भी कम समय में देश को पता चलता है कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘तकनीकी कारणों’ से नीलामी नोटिस वापस ले लिया है। आश्चर्य है कि इन ‘तकनीकी कारणों’ को किसने ट्रिगर किया?
बता दें, अभिनेता को आधिकारिक तौर पर अजय सिंह धर्मेंद्र देओल के नाम से जाना जाता है और वह 2019 से पंजाब सीट से सत्तारूढ़ भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।