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आयुष्मान भारत योजना पर CAG रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे, मुर्दों ने भी करवाया इलाज, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली। देश के जरूरतमंद नागरिकों को इलाज की सहूलियत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था। यहीं नहीं स्कीम के नौ लाख से ज्यादा लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए पाए गए हैं। ऑडिट में सबसे बड़ी खामी यह उजागर हुई है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं, जिन रोगियों को पहले ‘मर गया’ दिखाया गया था, लेकिन मरने के बाद भी वे इलाज कराते रहे।

टीएमएस में मृत्यु के मामलों के डेटा विश्लेषण से पता चला है कि योजना के तहत निर्दिष्ट उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई है। इन रोगियों के संबंध में नए उपचार से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है। ऑडिट में आगे कहा गया है कि उपरोक्त दावों में से 3,903 में 3,446 मरीजों से संबंधित 6.97 करोड़ रुपये की राशि अस्पतालों को भुगतान की गई है। मरे हुए व्यक्तियों के इलाज का क्लेम करने के सबसे ज्यादा मामले देश के पांच राज्यों में देखने को मिले हैं। इनमें छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं। ऑडिट में डाटा एनालाइज करते हुए यह भी पता चला कि इस योजना के एक ही लाभार्थी को एक ही समय में कई अस्पतालों में भर्ती किया गया। जांच में सामने आया है कि डाटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे पाए गए, जिसमें पहले के इलाज के लिए इन मरीजों की छुट्टी की तारीख, उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए अस्पताल में एंट्री की तारीख के बाद की थी। ऐसे मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं।

आयुष्मान भारत योजना को लेकर कैग की ऑडिट रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा करते हुए महालेखा परीक्षक ने बताया है कि इस योजना के तहत लाभ लेने वाले लाखों लाभार्थी ऐसे हैं, जो एक मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड हैं। आमतौर पर किसी लाभार्थी का मोबाइल नंबर गलत निकलता है या फिर ई-कार्ड खो जाता है, तो लाभार्थी की पहचान करना मुश्किल हो जाता है और फिर योजना के दायरे में आने वाले अस्पताल इलाज देने से इनकार कर देते हैं, लेकिन यहीं बड़ी धांधली की गई है। पीएमजेएवाई डाटाबेस के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला एक ही मोबाइल नंबर पर कई लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। सिर्फ तीन नंबर पर लगभग 9.85 लाख लोग रजिस्टर्ड हैं। मोबाइल नंबर 9999999999 पर 7.49 लाख लोग पीएमजेएवाई योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं। कैग की ओर से जांच में यह भी सामने आया है कि इस धांधली के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले अन्य नंबरों में 8888888888, 9000000000, 20, 1435 और 185397 शामिल हैं।

कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ हिमाचल प्रदेश सहित चंडीगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कई पेंशनभोगी उठा रहे हैं। तमिलनाडु सरकार के पेंशनभोगी डेटाबेस की इस योजना के डाटाबेस से तुलना करने पर पता चला कि 1,07,040 पेंशनभोगियों को लाभार्थियों के रूप में शामिल किया गया था। इन लोगों के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बीमा कंपनी को करीब 22.44 करोड़ रुपए का प्रीमियम भुगतान किया गया। ऑडिट में पता चला कि अयोग्य लोगों को हटाने में देरी के चलते बीमा प्रीमियम का भुगतान हुआ था।

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