नई दिल्ली। UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ने के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी (UPSC) चेयरमैन को पत्र लिखा है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गई है।
लेटरल एंट्री क्या है…
दरअसल लेटरल एंट्री को सीधी भर्ती भी कहा जाता है। इसमें उन लोगों को सरकारी सेवा में लिया जाता है, जो अपनी फील्ड में काफी माहिर होते हैं। ये IAS-PCS या कोई सरकारी कैडर से नहीं होते हैं। इन लोगों के अनुभव के आधार पर सरकार अपने नौकरशाही में इन्हें तैनात करती है। इसके लिए कोई प्रतियोगी परीक्षा भी आयोजित नहीं की जाती है। इसमें कोई आरक्षण भी नहीं होता है।
लैटरल इंट्री के जरिए 45 पदों पर मांगे आवेदन…
हाल ही में यूपीएससी ने अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया था। इसमें केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति की जानकारी देते हुए आवेदन मांगे गए थे। इन पदों में 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद शामिल थे। इनमें कुल 45 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
हालांकि, इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार इसके खिलाफ बोल रहे थे। इसके अलावा एनडीए के सहयोगी भी इसकी आलोचना कर रहे थे। राहुल ने एक्स पर पोस्ट किया, लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का राम राज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने रविवार को आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बजाय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं।’’ इसके बाद अब सरकार ने इस विज्ञापन को रोकने का फैसला लिया है।