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‘इंडिया’ को ‘भारत’ बनाने में खर्च हो सकते हैं इतने करोड़, इन देशों ने भी बदला है अपना नाम!

नई दिल्ली। देश के नाम को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं काफी तेज हो गई हैं। इंडिया का नाम हटाकर भारत रखने को लेकर दोनों तरह की यानी पक्ष और विपक्ष की आवाजें सुनाई दे रही हैं। अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। कयासों का बाजार गर्म है। जिसमें कहा जा रहा है कि देश की संसद में जो स्पेशल सेशंस बुलाया गया है, उसमें देश के नाम से इंडिया हटाकर सिर्फ भारत ही रहने दिया जाएगा। इसको लेकर विधेयक भी लाया जा सकता है।

बता दें कि भारत में नाम बदलने का चलन पहले से चला आ रहा है, फिर चाहे शहर हो या राज्य, उदाहरण स्वरूप उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड, उड़िसा का नाम बदलकर ओडिशा, मुंबई का नाम बदलकर बंबई, कलकत्ता का नाम बदलकर कोलकाता आदि जैसे राज्य और शहर हैं. लेकिन इन नाम बदलने के पीछे लाखों-करोड़ों रुपये खर्च भी होते हैं। ऐसे में अगर देश का नाम बदला गया, तो सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

कितना आ सकता है खर्च…

आउटलुक इंडिया और ईटी की रिपोर्ट के अनुसार देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने की एस्टीमेटिड कॉस्ट 14304 करोड़ रुपये हो सकती है। इसका कैलकुलेशन साउथ अफ्रीका के वकील डेरेन ऑलिवियर ने किया है। जिन्होंने इसका एक पूरा फॉर्मूला भी तैयार किया है। 2018 में स्वैजीलैंड का नाम बदलकर इस्वातीनि हुआ था। देश का नाम बदलने का उद्देश्य औपनिवेशिकता से छुटकारा पाना था। उस समय ऑलिवियर ने देश का नाम बदलने में होने वाले खर्च कैलकुलेशन करने के लिए फॉर्मूला तैयार किया था।

क्या है कैलकुलेशन…

उस समय डेरेन ऑलिवियर ने स्वैजीलैंड का बदलने के प्रोसेस की तुलना किसी भी बड़े कॉर्पोरेट की रीब्रांडिंग से की थी। ऑलिवियर के मुताबिक बड़े कॉरपोरेट का एवरेज मार्केटिंग कॉस्ट उसके कुल रेवेन्यू का करीब 6 फीसदी होता है। वहीं रीब्रांडिंग में कंपनी के कुल मार्केटिंग बजट का 10 फीसदी तक खर्चा हो सकता है। इस फॉर्मूले के अनुसार ऑलिवियर का अनुमान था कि स्वेजीलैंड का नाम इस्वातीनि करने में 60 मिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है। अब अगर इस फॉमूले को एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर लागू करें तो वित्त वर्ष 2023 में देश का रेवेन्यू 23.84 लाख करोड़ रुपये था। इसमें टैक्स और नॉन टैक्स दोनों तरह के रेवेन्यू शामिल थे।

नाम बदलने वाले देशों की लिस्ट

तुर्किए (पुराना नाम-तुर्की): राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने पिछले साल देश का नाम तुर्की से बदलकर बदलकर तुर्किए करने का ऐलान किया। इस बदलाव का उद्देश्य देश की समृद्ध संस्कृति, मूल्यों और सभ्यता को वैश्विक मंच पर बेहतर ढंग से प्रस्तुत करना है।
ईरान (पुराना नाम- पर्शिया): ईरान ने 1935 में अपना नाम पर्शिया से ईरान कर लिया। इस तरह देश और यहां के नागरिकों को एक नई पहचान मिली। देश का नाम पर्शिया से ईरान किए जाने को लेकर आज भी खूब चर्चा होती है।

थाईलैंड (पुराना नाम- सियाम): थाईलैंड को पहले संस्कृत से उपजे शब्द सियाम के तौर पर जाना जाता था। फिर 1939 में देश का नाम बदलकर थाईलैंड रखा गया. लेकिन 1946 और 1948 में फिर से सियाम नाम अपनाया गया। हालांकि, उसके बाद से थाईलैंड का आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ थाईलैंड हो गया।

म्यांमार (पुराना नाम- बर्मा): 1989 में म्यांमार ने बर्मा की जगह अपना नाम आधिकारिक तौर पर म्यांमार कर लिया। इस तरह आज इस दक्षिण एशियाई मुल्क को बर्मा के तौर पर जाना जाता है।

श्रीलंका (पुराना नाम- सीलोन): श्रीलंका ने अपनी आजादी को दिखाने और पुर्तगाली और ब्रिटिश शासन के ऐतिहासिक अवशेषों को हटाने के लिए 2011 में औपनिवेशिक नाम सीलोन को त्यागकर श्रीलंका के तौर पर नया नाम अपना लिया।

चेकिया (पुराना नाम- चेक रिपब्लिक): अप्रैल 2016 में चेक रिपब्लिक ने अपना नाम बदलकर चेकिया रख लिया। कहा गया कि ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि देश को स्पोर्ट्स इवेंट और ग्लोबल मार्केट में आसानी से पहचाना जा सके।

इस्वातिनी (पुराना नाम- स्वाजीलैंड): अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड ने अप्रैल 2018 में अपना नाम इस्वातिनी रख लिया. इस्वातिनी का मतलब ‘स्वाजियों की भूमि’ होता है। लोगों को स्विट्जरलैंड के साथ मिलते देश के नाम की वजह से भ्रम पैदा होता था, इसलिए इस्वातिनी ने अपना नाम बदला।

रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मैसेडोनिया (पुराना नाम- मैसेडोनिया): नाटो में शामिल होने और ग्रीस में एक इलाके का नाम मैसेडोनिया होने की वजह से इस देश ने अपना नाम बदला। फरवरी 2019 में मैसेडोनिया रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मैसेडोनिया बन गया।

नीदरलैंड्स (पुराना नाम- हॉलैंड): नीदरलैंड ने प्रचार के मकसद से जनवरी 2020 में अपना नाम हॉलैंड से बदलकर नीदरलैंड रख लिया। इस कदम को देश के खुद को एक खुले, आविष्कारक और समावेशी मुल्क के तौर पर पेश करने की आकांक्षा के तौर पर देखा गया।

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