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दून : हाईकोर्ट के ‘डंडे’ से दो साल बाद फिर टूटी प्रशासन की नींद!

सिस्टम पर सवाल

  • हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में देहरादून में अतिक्रमण पर आज से फिर गरजी जेसीबी
  • हर जोन में एसडीएम व सीओ की तैनाती, अतिक्रमण चिह्नीकरण के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू

देहरादून। हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में आज मंगलवार को शहर में फिर से अतिक्रमण पर जेसीबी चलनी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि दो साल पहले हाईकोर्ट के आदेश पर टास्क फोर्स ने शहर को चार जोन में बांटकर प्रमुख सड़कों से अतिक्रमण हटाया था। इस दौरान चिन्हीकरण के बाद भी कुछ लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया था, तो प्रशासन ने उसे हटाने की जहमत नहीं उठाई और आंखें फेर ली। हाईकोर्ट का ‘डंडा’ हुआ तो फिर से अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। यहां तक कि अतिक्रमण पर लगे लाल निशान गायब कर दिये गये हैं।  
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले हाईकोर्ट के आदेश पर मेगा अभियान चलाकर अतिक्रमण ध्वस्त किया गया था, लेकिन अभियान थमने के बाद अतिक्रमणकारियों के हौसले फिर से बुलंद हो गए हैं। अतिक्रमण पर लगाए लाल निशान को लोगों ने मिटा दिया है। जहां से भी अतिक्रमण हटाया गया, उन स्थानों पर फिर से अतिक्रमण कर लिया गया है। इस कारण कई जगह जाम की समस्या बढ़ रही है। अधिकारियों की सुस्ती के चलते अब सड़कों पर दोबारा से कब्जे होने लगे हैं। 
आज मंगलवार को अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स चिह्नीकरण करने बाद ध्वस्तीकरण भी करने में जुट गई है। हर जोन में एसडीएम और सीओ की तैनाती है। पहले एक घंटे अतिक्रमण चिह्नीकरण हुआ। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई। करीब एक सप्ताह चलने वाले अभियान की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाएगी। अतिक्रमण हटाओ अभियान के चलते राजधानी की सड़कों पर बार-बार लंबा जाम लग रहा है। जिससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
टास्क फोर्स के प्रभारी विनय शंकर पांडेय ने बताया कि दो साल पहले हाईकोर्ट के आदेश पर टास्क फोर्स ने शहर को चार जोन में बांटकर प्रमुख सड़कों से अतिक्रमण हटाया था। इस दौरान चिन्हीकरण के बाद भी कुछ लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया था, जिन पर फिर से कार्रवाई की जा रही है। बताया कि जो लोग खुद अतिक्रमण हटाएंगे, उन पर टीम कार्रवाई नहीं करेगी। जिन लोगों का अतिक्रमण टास्क फोर्स हटाएगी, उनसे कार्रवाई में आने वाले खर्च भी वसूला जाएगा। 
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए 18 जून 2018 को शहर में अतिक्रमण हटाने का आदेश सरकार को दिया था। इसमें सड़क, नाली और फुटपाथ समेत सरकारी जमीन, कॉलोनियों आदि में अतिक्रमण हटना था। आदेश के दस दिन बाद 27 जून को प्रशासन ने शहर को चार जोन में बांटते हुए अतिक्रमण का चिह्निकरण शुरू किया। हाईकोर्ट के डर से अधिकारियों ने अभियान पर गंभीर रुख दिखाया, लेकिन इसके बाद बारिश, विधानसभा सत्र, इन्वेस्टर्स मीट आदि होने पर पुलिस फोर्स की कमी आदि बहाने बताते हुए अभियान रोक दिया गया। 
राजपुर रोड पर जिन स्थानों से अतिक्रमण हटाया गया था। वहां अतिक्रमणकारियों ने वर्कशॉप तक बना रखा है। कुछ ऐसा ही हाल रायपुर रोड का है। डीएल रोड पर कार्रवाई के बाद मलबा नहीं उठाया गया, जो लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। हरिद्वार बाईपास, मोथरोवाला रोड, सहारनपुर रोड, कांवली रोड पर भी काफी संख्या में अतिक्रमण किया हुआ है। इसके अलावा न तो सड़कें बनी और न ही सौंदर्यीकरण हुआ। अगर ऐसा होता तो शायद फिर से अतिक्रमण की स्थिति न पैदा होती। 

हाईकोर्ट के आदेश के मुख्य बिंदु

चार सप्ताह में दून की सड़कों से अतिक्रमण हटाया जाए।
अतिक्रमण के समय तैनात न रहने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करें।
तय समय में अतिक्रमण न हटाने पर इसके लिए मुख्य सचिव जिम्मेदार होंगे।
तीन माह के भीतर रिस्पना नदी के किनारे हुए अतिक्रमण को हटा नदी को पुनर्जीवित किया जाए।
अतिक्रमण हटाने के लिए धारा 144 लागू करना पड़े तो वह भी करें। 
शासन, एमडीडीए और नगर निगम उन सभी मॉल, शोरूमों आदि को तीन सप्ताह में सील करें, जिनके बेसमेंट में पार्किंग के बजाय दूसरा उपयोग हो रहा है।
जिन आवासीय भवनों में व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं, उन्हें सील करें। 

पांच हजार अतिक्रमण तो तोड़े, पर… टास्क फोर्स की ओर से तीन महीने चले अभियान में करीब पांच हजार अतिक्रमण ध्वस्त किए गए, लेकिन इसके बाद भी तमाम जगह सड़कों को चौड़ा नहीं किया गया। जिसके चलते इन जगहों पर फिर से अतिक्रमण शुरू हो गया है।  

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