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दून : ट्रैक्टर-ट्रॉली कर रहे दो फेरे, भुगतान ले रहे चार फेरों का!

ये ‘गामा’ का राज है जनाब, कुछ तो ‘बड़ा’ होगा

  • पार्षदों के सिंडीकेट ने डमी ठेकेदार को टेंडर दिलाकर कूड़ा उठान में की जमकर हेराफेरी
  • नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में सालावाला पार्षद ने किया ट्रैक्टर-ट्रॉली के खेल का खुलासा
  • मेयर ने 15 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट, गड़बड़ी पर टेंडर निरस्त करने का आदेश 
  • स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में, मौके पर नहीं देखीं व्यवस्थायें 

देहरादून। नगर निगम में अब कूड़ा उठान में लगे ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिये हेराफेरी का मामला सामने आया है। ठेकेदार द्वारा कूड़ा उठाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली के केवल दो फेरे लगाए जा रहे हैं, जबकि उन्हें भुगतान चार फेरों का किया जा रहा है। नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में पार्षद भूपेंद्र कठैत ने कुछ पार्षदों द्वारा किए गए ट्रैक्टर-ट्रॉली के खेल का खुलासा किया। जिस पर मेयर सुनील उनियाल गामा ने मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को मामले की जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही मामला सही पाए जाने पर टेंडर निरस्त करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में सालावाला वार्ड के पार्षद भूपेंद्र कठैत ने कुछ पार्षदों के सिंडीकेट द्वारा डमी ठेकेदार के माध्यम से ट्रैक्टर-ट्रॉली का टेंडर हासिल कर उसमें जमकर चांदी काटने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पार्षदों के सिंडीकेट ने एक डमी ठेकेदार के जरिये यह टेंडर हासिल किया। निगम ने 45 ट्रैक्टर-ट्रॉली का अनुबंध किया था, जबकि मौजूदा समय में केवल 30 ही चल रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनसे चार के बजाय दो ही फेर लगाए जा रहे हैं, जबकि भुगतान चार फेरों के हिसाब से हो रहा है। 
कठैत ने रिकार्ड सामने पेश करते हुए कहा कि बीते 16 अगस्त से नए ठेकेदार ने जब कार्य शुरू किया तो 45 ट्रैक्टर-ट्रॉली का अनुबंध हुआ। जबकि पहले दिन केवल 15 तथा उसके अगले दिन 18 ट्रैक्टर-ट्रॉली चलाए गए। इसके बाद 21 को 19, 26 अगस्त को 27 ट्रैक्टर-ट्रॉली चलाए गए। इसके बाद 29 अगस्त को इनकी संख्या 29 हो गई, तब से यह 28 से 29 ही है।
कठैत के इन आरोपों को मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कैलाश जोशी ने भी स्वीकार किया। कहा कि आरोप सही हैं, टेंडर की शर्तों के हिसाब से ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं चल रहे हैं। ट्रॉली भी मानक के अनुरूप नहीं हैं। जिस पर मेयर और नगर आयुक्त ने मामले की जांच का आदेश दिया। साथ ही मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है। 
निगम के सूत्रों की अनुसार ट्रैक्टर-ट्रॉली का टेंडर उठाने के लिए कुछ पार्षदों ने पहले गठजोड़ किया। इसके बाद डमी ठेकेदार के जरिये कम धनराशि भरकर टेंडर हासिल कर लिया, लेकिन सालावाला के पार्षद ने खुलासा कर उनके मंसूबों को उजागर कर दिया। 
पार्षदों के सिंडीकेट की इस हेराफेरी में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने कभी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की संख्या चेक क्यों नहीं की और आंखें बंदकर बगैर किसी जांच के ठेकेदार को भुगतान करते रहे। जब सालावाला के पार्षद ने यह आरोप लगाया तो मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद गड़बड़ी की बात को स्वीकार किया। 
घोटाले की पुष्टि करते हुए मेयर सुनील उनियाल गामा ने कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली के संचालन में घपलेबाजी की बात सामने आई है। मामले की जांच कराई जाएगी। आरोप सही मिलने पर टेंडर निरस्त कराया जाएगा। इस तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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