देहरादून। डिजिटल दौर में साइबर अपराध के मामलों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। साइबर अपराधी लोगों को सही जानकारी नहीं होने का फायदा उठाते हैं और ठगी को अंजाम देते हैं। साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए नए-नए तरीकों को आजमाते हैं, ताकि कोई आसानी से उन्हें पकड़ न सकें। इन दिनों साइबर ठग एक अलग तरह की ठगी का सहारा लेकर लोगों को कंगाल बना रहे हैं।
दरअसल, देहरादून के दो युवा विदेश जाकर होटल में नौकरी के झांसे में आकर चीनी साइबर ठग गैंग के जाल में फंस गए। दोनों युवकों को कंबोडिया में बंधक बनाकर भारतीयों से साइबर ठगी कराई गई।
मिलीं जानकारी के अनुसार देहरादून के दो युवा नौकरी की तलाश कर रहे थे। इसी दौरान थाईलैंड के होटल में नौकरी का ऑनलाइन विज्ञापन देखा। दोनों युवाओं ने विज्ञापन देने वालों से संपर्क किया। भर्ती प्रक्रिया पर विश्वास करते हुए थाईलैंड जाने का निर्णय लिया। दोनों युवाओं को थाईलैंड पहुंचने पर बताया गया कि उन्हें कंबोडिया ट्रांसफर किया जाएगा।
जिसके बाद नौकरी का झांसा देने वाले स्थानीय एजेंट के माध्यम से उन्हें पोइपेट बॉर्डर ले जाया गया। वहां कुछ लोगों को पैसा देकर बॉर्डर पार कराया गया। कंबोडिया सीमा में प्रवेश करने के बाद दोनों युवाओं को कारों से फॉन्म पेन्ह और बावेट शहर ले जाया गया। बावेट पहुंचने पर चीनी साइबर ठग गैंग संचालकों ने दोनों के पासपोर्ट, वीजा और अन्य दस्तावेज जब्त कर लिए। उसके बाद दोनों युवाओं को एक गुप्त स्थान पर ले जाया गया।
वहां ऑनलाइन साइबर ठगी के लिए विशेष बिल्डिंग बनी थी। दोनों युवकों ने साइबर ठगी करने से मना किया तो उनको मारा पीटा गया और प्रताड़ित किया गया, साथ ही खाना भी नहीं दिया गया। प्रताड़ना से परेशान दोनों भारतीयों को साइबर ठगी करने को मजबूर किया गया। इसके बाद दोनों को ठगी का तरीका समझाया गया। इसके बाद साइबर ठगी गैंग ने इन दोनों पीड़ितों के साथ 20 से अधिक युवाओं से कई महीनों तक साइबर ठगी कराई। केंद्रीय गृह मंत्रालय के इनपुट पर विदेश मंत्रालय के सहयोग से कंबोडिया पुलिस ने मौके पर कार्रवाई की। इस दौरान उत्तराखंड के दोनों युवाओं समेत पांच भारतीय नागरिकों को बचाकर वापस लाया गया।
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया है कि कंबोडिया में चीनी गैंग साइबर ठग गिरोह चलाते हैं। उनके जाल में फंसे राज्य के दो युवा हाल में वापस लौटे हैं. दोनों ने पूछताछ में बताया कि किस तरह साइबर ठग इस गैंग को संचालित करते हैं। जानकारी मिली कि उनका काम केवल लोगों को साइबर ठगी में लोगों को फंसाना होता था। खातों और फोन नंबर की जानकारी गैंग के भारतीय एजेंट उन तक भेजते हैं।