नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। इस फैसले के तहत अब कक्षा 5 और 8 की वार्षिक परीक्षा में असफल छात्रों को प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि उनको फेल कर दिया जाएगा। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के फैसले की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि हमने यह निर्णय लिया है कि 5वीं और 8वीं में प्रयास करने के बाद भी डिटेंशन की जरूरत पड़े तो उसी के बाद डिटेन किया जाए।
क्या है सरकार का मकसद…
इसमें यह भी प्रावधान किया है आठवीं कक्षा तक के स्कूलों से बच्चों को निष्कासित नहीं किया जाए। उन्होंने आगे कहा, हम चाहते हैं कि हर एक बच्चे के अंदर सीखने की इच्छा बढ़े और इसको प्रयास में लाने के लिए उन बच्चों पर ध्यान दिया जाएगा, जो पढ़ाई में किसी कारणवश अच्छे नहीं है। इसलिए उन पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा। रूल में बदलाव आने के बाद यह संभव हो पाएगा और बच्चों में सीखने की लगन बढ़ेगी। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म होने के बाद कक्षा 5 और 8 की वार्षिक परीक्षा में असफल छात्रों को फेल किया जाएगा। फेल छात्रों को दो महीने के भीतर पुन: परीक्षा का अवसर मिलेगा और इसमें भी फेल होने पर उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा। किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।
दोबारा देना होगा एग्जाम…
अब 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को रिजल्ट आने के दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। लेकिन अगर वे दोबारा इस एग्जाम में फेल हो जाते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि ऐसे में कोई भी स्कूल 8वीं कक्षा तक किसी भी छात्र को बाहर नहीं कर सकता है।
किन राज्यों में खत्म हो चुकी है ये नीति…
केंद्र के इस फैसले से पहले, 2019 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में संशोधन किया गया था। इसके बाद से 18 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, जैसे असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली आदि, पहले ही इस नीति को खत्म कर चुके हैं।
कितने स्कूल होंगे प्रभावित…
इस बदलाव का असर केंद्र सरकार के 3,000 से ज्यादा स्कूलों पर पड़ेगा। हालांकि, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपने स्कूलों में इस नीति को लागू रखने या खत्म करने का फैसला खुद कर सकते हैं।