उत्तराखंड के सियासी गलियारों में जिसकी चर्चा अरसे से हो रही थी अब धरातल पर वह उतरता दिखने लगा है. पहले लॉट के तौर पर कांग्रेस के प्रचार वाहन दौड़ने लगे हैं, जिन पर मुख्यमंत्री हरीश रावत की छाप साफ दिखायी दे रही है.
प्रचार वाहनों पर लगे फ्लैक्स गवाही दे रहे हैं कि कांग्रेस का कैंपेन हरदा के चेहरे पर ही टिकने वाला है. इन प्रचार वाहनों पर एक तरफ रावत सरकार की उपलब्धियों का बखान है तो दूसरी तरफ हरदा का बड़ा चेहरा. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को ज़रूर जगह मिली है. लेकिन पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय पोस्टर से ग़ायब हैं.
दरअसल चुनावी समर में उतरने से पहले जिस तरह से सरकार और संगठन में तलवारें म्यान से बाहर निकलती रही, हरदा और किशोर में कलह की बातें नुक्कड़-गलियों में चटकारे का विषय बनती रही, अब आचार संहिता लगने के बाद जंग में तब्दील होती दिख रही है.
टीम हरदा बख़ूबी जानती है कि पहाड़ पर दोबारा पंजे का परचम फहराना है तो हरीश रावत को धुरी बनाकर चक्रव्यूह रचा जाये. जबकि पीसीसी की किशोर टीम की चाहत रही है कि संगठन के सूबेदार को सरकार के सरताज के बराबर तरजीह मिले. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि पीसीसी से रोज रोज की पेंचबाजी से आजिज़ आकर ही ‘पीके’ की एंट्री हुई है.