देहरादून। उत्तराखंड में अब प्रत्येक महीने में बिजली बिल पर फ्यूल चार्ज समायोजन (एफएसए) तय किया जाएगा। इससे पहले यह चार्ज हर 3 महीने में लागू किया जाता था। एफएसए तय होने के बाद प्रत्येक महीने बिजली का बिल घटता या बढ़ता रहेगा। दरअसल एफएसए का निर्धारण बाजार में कोयले की कीमतों के आधार पर तय होता है। देश में कई थर्मल पावर प्लांट मौजूद है, ऊर्जा निगम इन्हीं थर्मल पावर प्लांट से बिजली लेता है। ऐसे में कोयले के दाम का असर इन पावर प्लांट से मिलने वाली बिजली के रेट पर पड़ता है। ऊर्जा निगम ने विद्युत नियामक आयोग से हर महीने एसएसए तय करने का फार्मूला देने और इसे लागू करने का प्रस्ताव भेजा है।
वहीं उत्तराखंड में गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली का संकट भी गहरा गया है। प्रदेश में बिजली की किल्लत भी बढ़ने लगी है। शनिवार को यूपीसीएल ने इस सीजन की सर्वाधिक 43 मिलियन यूनिट (4 करोड़ 30 लाख यूनिट) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। कम उत्पादन के बीच यूपीसीएल को फिर बाजार से बिजली खरीदने की जरूरत पड़ने लगी है। दरअसल, केंद्र सरकार से गैर आवंटित कोटे की बिजली तो यूपीसीएल को मिली लेकिन इस साल यूजेवीएनएल से बिजली का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम हो रहा है। गत वर्ष इन दिनों यूजेवीएनएल से 14.5 मिलियन यूनिट बिजली मिल रही थी जो कि इस साल केवल 8.5 मिलियन यूनिट मिल रही है।
वहीं यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय ने बताया कि प्रदेश में बिजली की मांग इस सीजन की अब तक की सर्वाधिक 43 मिलियन यूनिट शनिवार को आंकी गई है। उन्होंने बताया कि इसके सापेक्ष करीब 32 से 35 मिलियन यूनिट बिजली तो उपलब्ध है। बाकी बाजार से खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। बताया कि शुक्रवार को प्रदेश में बिजली की मांग करीब 41.6 मिलियन यूनिट आंकी गई थी जो कि शनिवार को बढ़कर 43 आंकी गई है।