Thursday , April 25 2024
Breaking News
Home / उत्तराखण्ड / हे उत्तराखंड के रहनुमाओं, बेरोजगारों के लिये एक महकमा तो छोड़ दिया होता!

हे उत्तराखंड के रहनुमाओं, बेरोजगारों के लिये एक महकमा तो छोड़ दिया होता!

देहरादून। आजकल देवभूमि में अजब हाल है। उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं की नियति देखिये कि राज्य बनने के बाद से ही तमाम सरकारी विभागों में बैकडोर से और माननीयों के चहेतों की ही भर्ती की खबरें थोक के भाव निकलकर सामने आ रही है। अब इन निराश और हताश युवाओं को समझ में आने लगा है कि अलग राज्य बनने के बाद जो सपने उन्हें दिखाये जा रहे थे, वे सभी ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपने‘ बनकर रह गये और तमाम महकमों में माननीयों और नौकरशाहों के परिजन, रिश्तेदार और चहेते विराजमान हो गये।
उत्तराखंड की विडंबना देखिये कि राज्य बनने के बाद से जिस भी महकमे में जगह खाली हुई वो सभी बैकडोर या नियमों को ताक पर रखकर की गई और योग्य बेरोजगार युवा धक्के खाते फिर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के मठाधीश एक दूसरे की कलई खोलने में लगे हैं, लेकिन अपनी कारगुजारियों पर उन्हें तनिक भी अफसोस या पछतावा नहीं है। कई राजनेता तो बेशर्मी की इस हद तक उतर आये हैं कि अपनी काली करतूतों को अपना अधिकार बता रहे हैं। उन्हें तो शायद यह भी याद नही कि जब उन्होंने मंत्री पद संभालने या किसी अन्य अहम कुर्सी पर आसीन होने से पहले क्या शपथ ली थी।
इस समय देवभूमि के हाल यह है कि इन माननीयों और नौकरशाहों में इतनी भी लिहाज या शर्म बाकी नहीं बची कि जिस जनता के पैसे पर वे ऐश कर रहे हैं, उसके लिये कम से कम एक महकमा तो ऐसा छोड़ दें जिसमें राज्य के योग्य और प्रतिभाशाली बेरोजगार युवाओं को उत्तराखंड की सेवा का मौका मिल सके। एक कहावत है कि डायन भी सात घर छोड़ देती है, लेकिन इन सफेद हाथियों ने तो एक महकमा भी नहीं छोड़ा। अगर थोड़ी भी गैरत बाकी होती तो उनको तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था।
यूकेएसएसएससी घोटाले, विधानसभा में बैकडोर से भर्ती पर मचे हंगामें के बीच अब उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में एक मंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों एवं करीबियों की नियुक्ति की सूची सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। वायरल हो रही सूची के मुताबिक 11 नियुक्तियां विभिन्न जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार एवं करीबियों की हुई हैं। इनके अलावा सात नियुक्तियां फर्जी तरीके से हुई हैं।
बताया गया है कि विश्वविद्यालय में सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के पूर्व पीआरओ को अहम पद पर नियुक्ति दी गई है। इनके अलावा एक संगठन के पदाधिकारी की बहन, एक पदाधिकारी की छोटी बहू, पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी को असिस्टेंट प्रोफेसर, पूर्व केंद्रीय मंत्री के भतीजे को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दी गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सूची के मुताबिक 11 नियुक्तियां विभिन्न जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार एवं करीबियों की हुई हैं और सात नियुक्तियां फर्जी तरीके से हुई हैं।  
इस बाबत उमुवि के कुलपति ओपीएस नेगी का दावा है कि विश्वविद्यालय में सभी नियुक्तियां नियमानुसार हुई हैं। चयन के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बाद नियुक्ति होती है। नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थी को साक्षात्कार से होकर गुजरना होता है। यदि कोई पात्र है तो नियमानुसार नियुक्ति पा सकता है। उनके इस रस्मी बयान से झलकता है कि वो मानने को तैयार ही नहीं है कि उमुवि में कुछ गलत हुआ भी है। हालांकि विभागीय मंत्री और शासन में बैठे आला अफसर इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं।

About team HNI

Check Also

चुनावी मौसम में जनता को राहत, कमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ सस्ता…

नई दिल्ली। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कटौती …

Leave a Reply