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चौबेपुर के थानेदार ने एक तीर से किये दो बड़े ‘शिकार’!

कानपुर एनकाउंटर का रचा चक्रव्यूह

  • यूपी की एसटीएफ टीम ने चौबेपुर का पूर्व थानेदार विनय तिवारी को लिया हिरासत में
  • विनय तिवारी से सख्त पूछताछ जारी, विकास के लिये मुखबिरी करने समेत कई गंभीर आरोप
  • यूपी एसटीएफ के पास विकास दुबे और विनय तिवारी के संबंधों को लेकर कई पुख्ता सबूत
  • पूरा चौबेपुर थाना किया जा चुका है लाइन हाजिर, विनय तिवारी को किया गया था सस्पेंड

कानपुर। जिले के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की मध्य रात्रि को डीएसपी समेत आठ पुलिस वालों की हुई हत्या के मामले में विकास दुबे अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है, लेकिन यूपी एसटीएफ ने इस मामले में चौबेपुर थाने के पूर्व थानेदार विनय तिवारी को हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि विनय तिवारी से सख्त पूछताछ की जा रही है। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
चर्चा यह भी है कि दो दिन पहले राहुल तिवारी के मामले में ही चौबेपुर थानेदार बिकरू गांव गए थे। वहां विकास से लंबी बातचीत के बाद हाथ में गंगाजल उठवाकर उसे शपथ भी दिलवाई गई थी। इसके बाद विकास दुबे ने किसी बात से नाराज होकर विनय तिवारी पर हाथ छोड़ दिया था तो चौबेपुर के थानेदार ने किसी तरह वहां से वापस आने में ही अपनी भलाई समझी थी।
सूत्रों के अनुसार थानेदार तिवारी जहां अपने अपमान की आग में झुलस रहा था, वहीं बिल्हौर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा के सख्त रवैये के चलते बेहद परेशान था। तब उसने ठंडे दिमाग से ऐसी योजना तैयार की कि अपने इन दोनों ‘दुश्मनों’ को किस तरह ठिकाने लगाया जाये। सबसे पहले उसने आला अफसरों तक विकास दुबे द्वारा अपने साथ किये गये बुरे बर्ताव की शिकायत की और जब बिल्हौर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में विकास दुबे को घेरने की पूरी तैयारी कर ली गई तो तिवारी ने विकास के मन में यह बात बैठा दी कि पुलिस उसे पकड़ने नहीं, बल्कि उसका एनकाउंटर करने आ रही है।
सूत्रों के अनुसार इसके साथ ही उसने विकास को उकसाया कि वह बिल्हौर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा समेत उसकी टीम को किसी तरह निपटा दे तो राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की तरह उसके खिलाफ कोई भी गवाही देने को तैयार नहीं होगा और वह पाक साफ बच जाएगा। इस तरह थानेदार तिवारी के रचे गये चक्रव्यूह में फंसे सीओ देवेंद्र मिश्रा की तो मौके ही हत्या कर दी गई और अब विकास दुबे मारा मारा छिपता फिर रहा है। एक पूर्व डीजीपी ने भी इस बात की आशंका जताई है कि बिकरू गांव में गई पुलिस टीम को फायरिंग करने तक का मौका नहीं मिला और उनको घेर कर मार डाला गया गया।
हालांकि इन तथ्यों पर कोई खुलकर बात करने को तैयार नहीं है। शुक्रवार रात हुए ऑपरेशन में भी चौबेपुर एसओ पीछे थे। सूत्रों के अनुसार, देर रात तक एसटीएफ चौबेपुर एसओ से पूछताछ कर रही थी।
चौबेपुर थानांतर्गत ही बिकरू गांव आता है। गैंगस्टर विकास दुबे को बचाने में चौबेपुर थाने के इंस्पेक्टर विनय तिवारी तथा अन्य पुलिसकर्मियों की संलिप्तता के आरोप लगने के बाद इसकी जांच के आदेश दिए गए थे। शुरुआती जांच में यह सही पाया गया। जांच में सामने आया कि थाने में तैनात कई उपनिरीक्षक, हेड कॉन्स्टेबल और कॉन्स्टेबल हिस्ट्रीशीटर दुबे के लिए मुखबिरी कर रहे थे।
बीते मंगलवार को थाने में तैनात सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था। उनके खिलाफ विस्तृत जांच की जा रही है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बिल्हौर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा ने उन्हें चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी और गैंगस्टर विकास दुबे के करीबी रिश्तों का आरोप लगाते हुए कार्रवाई के लिए कथित रूप से पत्र लिखा था। आरोप है कि थानेदार विनय तिवारी की विकास दुबे के साथ नजदीकियों के चलते ही उन्होंने दबिश की सूचना विकास तक पहुंचाई।
विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया था। अब उन्हें यूपी एसटीएफ ने हिरासत में ले लिया है। विनय तिवारी से सख्त पूछताछ की जा रही है। सूत्रों की मानें तो पूछताछ के बाद विनय तिवारी को गिरफ्तार किया जा सकता है। कानपुर शूटआउट केस के बाद से फरार विकास दुबे की तलाश तेज हो गई है। पुलिस ने विकास दुबे के साथी श्यामू बाजपेई को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है और उससे पूछताछ की जा रही है। आरोप यह भी है कि चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी के विकास से घनिष्ठ संबंध थे। आरोप है कि होली में बिकरू गांव के ही राहुल तिवारी को विकास और उसके साथियों ने जान से मारने का प्रयास किया। इसके बावजूद विनय ने एफआईआर नहीं दर्ज की। राहुल ने सीओ देवेंद्र मिश्रा से गुहार लगाई तो उनके हस्तक्षेप के बाद केस दर्ज किया गया।

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