सब गोलमाल है
- निगम के ठेकेदार ने भूमिगत बिजली लाइन के लिए गड्ढे खोदने की शर्तों की उड़ाईं धज्जियां
- भूमिगत बिजली लाइन बिछाने की निगरानी में जुटे यूपीसीएल के काबिल अफसरों पर उठे सवाल
देहरादून। महाकुंभ से पहले भूमिगत बिजली लाइन बिछाने के काम में आठ माह पहले ही बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आने के बावजूद उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड, यूपीसीएल की अब जाकर नींद टूटी है। आनन फानन में निगम ने इसकी दो स्तर पर जांच कराने के बाद ठेकेदार को ही रोड कटिंग का पूरा खर्च वहन करने के आदेश दिए हैं।
दरअसल हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में करीब 146 किलोमीटर बिजली लाइनें भूमिगत की जा रही हैं। यूपीसीएल का लक्ष्य है कि कुंभ शुरू होने से पहले सभी जगहों पर भूमिगत विद्युत लाइनें काम करना शुरू कर दें। इसके लिए यूपीसीएल ने टेंडर लेने वाले ठेकेदार को भी आवश्यकता पड़ने पर रोड कटिंग और खोदने की विशेष छूट दी थी। टेंडर में ठेकेदार के लिए शर्त थी कि वह मशीन से बिजली लाइन को भूमिगत करेगा, जबकि रोड कटिंग का खर्च यूपीसीएल वहन करेगा।
नियम के हिसाब से ठेकेदार को सात से आठ मीटर की दूरी पर भूमिगत बिजली लाइन के लिए गड्ढे खोदने थे लेकिन उसने शर्तों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना मशीन ही शहर की सभी सड़कें खोद डाली। यूपीसीएल तक मामला पहुंचने के बाद हड़कंप मच गया। मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि अब महाकुंभ में बेहद कम समय बचा है। ऐसे में भूमिगत विद्युत लाइन का काम पूरा करके सड़कें भी दुरुस्त करना बड़ी चुनौती है।
हालांकि इस बाबत लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता को बीते जून माह में ही एक पत्र भेजकर वस्तुस्थिति बता दी थी। इसमें उन्होंने आठ जून को कलेक्ट्रेट में एडीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक का उल्लेख करते हुए भूमिगत विद्युतीकरण के लिए रोड कटिंग की शर्तों का उल्लेख किया था।
इसमें कहा गया था कि 33केवी 11 केवी एवं 400केवी की विद्युत लाइनों को भूमिगत एक समय में 100 मीटर रोड कटिंग कर लाइन डाली जाए और उसको ठीक करने के बाद फिर आगे 100 मीटर रोड कटिंग की जाए, लेकिन इस शर्त की धज्जियां उड़ाते हुए यूपीसीएल की कंपनी का ठेकेदार मनमानी से काम कर रहा है। इसके बावजूद अब छह माह बाद यूपीसीएल के आला अफसरों की नींद टूटी है और इसका सारा दोष संंबंधित ठेकेदार पर ही डालकर अपने को पाक साफ साबित करने में लग गये हैं।
हालांकि इस बात पर वे बगलें झांकते नजर आते है कि ठेकेदार के काम की निगरानी के लिये तैनात किये गये काबिल अफसर कहां घास चरने निकल गये थे जब ठेकेदार पूरे शहर की सड़कों की ऐसी तैसी करने में लगा था। भूमिगत विद्युत लाइन में गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद यूपीसीएल ने इसकी जांच बैठाई। जांच समिति ने जो रिपोर्ट दी, इसके आधार पर सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में बनी समिति ने फिजिकल वेरिफिकेशन करते हुए मामले की जांच की। जांच के बाद यह साफ कर दिया गया कि जिस तरह से सड़कें खोदी गई हैं, वैसी सूरत में यूपीसीएल इनका पैसा नहीं देगा। निदेशक प्रोजेक्ट जेएमएस रौथाण ने बताया कि अब ठेकेदार को ही रोड कटिंग का भुगतान करना है।
इस बाबत यूपीसीएल के एचआर निदेशक एके सिंह का कहना है कि हरिद्वार में भूमिगत लाइन डालने के दौरान निर्धारित से ज्यादा सड़क खोदने की दो स्तर पर जांच हो चुकी है। अब इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। रोड कटिंग का पूरा पैसा अब यूपीसीएल को नहीं, बल्कि संबंधित ठेकेदार को देना होगा।