नई दिल्ली। भारत में हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसे कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को रोकने के लिए बहुत से लोग खून को पतला करने वाली दवाएं यानी ब्लड थिनर्स ले रहे हैं।
दरअसल, एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड के दुष्प्रभाव सामने आने के बाद से टीकाकरण करा चुके लोगों के मन में कई तरह का डर बना हुआ है। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में वैक्सीन निर्माता कंपनी ने ब्रिटेन की कोर्ट में स्वीकार किया था कि टीकाकरण करा चुके लोगों को दुर्लभ स्थितियों में खून का थक्का बनने की समस्या हो सकती है। वैसे तो इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभाव काफी दुर्लभ हैं, 10 लाख लोगों में 7-10 में इस तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं इसलिए टीकाकरण करा चुके लोगों को डरने या घबराने की जरूरत नहीं है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि टीकाकरण और दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव आमतौर पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में ही दिखने लगते हैं। चूंकि ज्यादातर लोगों को वैक्सीन ले चुके दो साल से अधिक का समय बीत चुका है, ऐसे में अब टीके से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित होने का जरूरत नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि वैक्सीन के दुष्प्रभावों के डर से बचने के लिए लोगों ने खून को पतला करने वाली दवाएं लेनी शुरू कर दी हैं। इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बिना डॉक्टरी सलाह के ब्लड थिनर जैसी दवाएं गंभीर समस्याकारक हो सकती हैं। इस तरह की गलतियां करने से बचना चाहिए।
क्या होती हैं ब्लड थिनर दवाएं…
ब्लड थिनर या खून को पतला करने वाली दवाएं आमतौर पर उन लोगों को दी जाती हैं, जिनका रक्त काफी गाढ़ा होता है और थक्के बनने के कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्याओं का डर होता है। ये दवाएं शरीर में रक्त का थक्का बनाने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं। हालांकि बिना डॉक्टरी सलाह के इन दवाओं का सेवन गंभीर और जानलेवा दुष्प्रभावों को बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
कितने तरह के होते हैं ब्लड थिनर्स…
वेबसाइट मेडलाइन प्लस के अनुसार, ब्लड थिनर्स दो तरह के होते हैं-एक एंटी कोआगुलेंट्स जैसेकि हीपैरिन या वारफैरिन (इसे कोउमैडिन भी कहते हैं)। ये दवाएं शरीर में कहीं भी खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं। वहीं, एंटीप्लेटलेट्स दवाएं जैसे कि एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल वगैरह खून में मौजूद प्लेटलेट्स को एकजुट होने से रोकती हैं। ये दवाएं अक्सर उन लोगों को दी जाती हैं, जिन्हें पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो चुका है।
डॉक्टरों के अनुसार, अगर कोई ब्लड थिनर ले रहा है तो उसे बेहद सावधानी से लेना चाहिए। ब्लड थिनर्स कुछ खास तरह के खानपान, दवाओं, विटामिंस और शराब वगैरह से भी रिएक्ट कर सकते हैं। आपके डॉक्टर को आपकी बीमारी के साथ-साथ आपकी दवाओं और सप्लीमेंट्स के बारे में सबकुछ पता होना चाहिए। जो भी लोग रेगुलर ब्लड थिनर्स ले रहे हैं, उन्हें रेगुलर ब्लड टेस्ट कराकर यह देखना चाहिए कि आपके खून में थक्का कितना बन रहा है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको थक्का बनने से रोकने के लिए कितनी दवाएं लेनी चाहिए। यह इतनी भी ज्यादा नहीं होनी चाहिए कि इससे इंटरनल ब्लीडिंग हो जाए।
ब्लड थिनर के नुकसान…
- पेट खराब, मतली और दस्त की समस्
- पीरियड में ब्लीडिंग नॉर्मल से ज्यादा होना
- पेशाब का लाल होना
- मल का रंग लाल या काला होना
- मसूड़ों और नाक से खून बहना
- उल्टी का रंग भूरा या लाल
- सिरदर्द या पेट दर्द की समस्या
- कटने पर खून का बंद न होना