नई दिल्ली। ब्रिटेन में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले दो हफ्ते से नए मामलों में इजाफा हो रहा है। ब्रिटेन में कोविड के एरिस वेरिएंट की वजह से वायरस के मामलों में इजाफा हो रहा है। भारत में भी इस वेरिएंट के केस रिपोर्ट किए गए हैं।
बता दें कि वैश्विक स्तर पर भले ही कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी नियंत्रित है, पर अभी भी इसका जोखिम कम नहीं हुआ है। हाल ही में यूके में कोरोना के एक नए वैरिएंट EG.5.1 की पुष्टि की गई है जिसे वैज्ञानिकों ने ‘एरिस’ नाम दिया है। ओमिक्रॉन परिवार के ही माने जाने वाले इस नए वैरिएंट के बारे में समझने के लिए अब भी अध्ययन जारी है, फिलहाल इसे अधिक संक्रामकता वाले वैरिएंट्स में से एक माना जा रहा है। चिंता की बात यह है कि इस नए वेरिएंट के केस भारत में भी आ चुके हैं। महाराष्ट्र में इसका पहला मामला दर्ज हुआ है।
इसके बाद अब तक मामलों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल इसको लेकर लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। कोरोना से बचाव के उपायों का पालन करते रहना जरूरी है, क्योंकि वैरिएंट्स में म्यूटेशन का जोखिम लगातार बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के इस वैरिएंट् को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वैरिएंट से बड़े खतरे की आशंका नहीं है।
उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर, ईजी.5.1 द्वारा उत्पन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को वैश्विक स्तर पर कम आंका जा रहा है। वैरिएंट की संक्रामकता दर अधिक हो सकती है, जो पहले भी ओमिक्रॉन के अन्य वैरिएंट्स के साथ देखी जाती रही है, पर इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा कम है।
कोविड वैरिएंट एरिस के लक्षण…
गले में खराश, नाक बहना, बंद नाक, छींक आना, सूखी खांसी, सिरदर्द, कर्कश आवाज, मांसपेशियों में दर्द, गंध-सुगंध और टेस्ट न आना। अध्ययन से यह भी पता चला कि मुख्य लक्षण ओमीक्रॉन जैसे ही हैं। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक सांस लेने में तकलीफ, गंध की कमी और बुखार अब मुख्य लक्षण नहीं हैं। मामलों में वृद्धि के मूल कारण की अभी तक पुष्टि नहीं की गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने खुलासा किया कि खराब मौसम की स्थिति और घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता की इसमें भूमिका है।