मास्का। लद्दाख में जारी तनाव बीच भारत का सख्त रूख देख चीन के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि एससीओ के देशों को अपने आपसी विवादों और मतभेदों को बातचीत और परामर्श के माध्यम से हल करने चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति में जिनपिंग ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन को आगे बढ़ाने और एकजुटता, सहयोग को गहरा करने के लिए सदस्य देशों को आगे आना चाहिए।
सीमा विवाद के बीच पहली बार मिले पीएम मोदी और जिनपिंग
मई से लद्दाख में शुरू हुए भारत चीन सीमा विवाद के बाद यह पहला ऐसा मौका था जब पीएम मोदी और शी जिनपिंग किसी बैठक में एक साथ शरीक हुए। हालांकि, इस बैठक से इतर दोनों देशों के बीच कोई अन्य बातचीत नहीं हुई। लद्दाख में तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच सैन्य स्तर की 8 दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, अभी तक इन बैठकों का जमीन पर कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
जिनपिंग ने एससीओ की बैठक में कहा कि हमें एकजुटता और आपसी विश्वास को गहरा करना चाहिए, और विवादों और मतभेदों को बातचीत और परामर्श के माध्यम से हल करना चाहिए, ताकि एससीओ विकास के लिए राजनीतिक नींव को मजबूत किया जा सके। कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए जिनपिंग ने कहा कि इस महामारी ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बदलाव ला दिया है।
इस बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा विवाद को लेकर चीन पर इशारों इशारों में निशाना साधा। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि एससीओ सदस्य देश एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। भारत के शंघाई सहयोग संगठन देशों के साथ मजबूत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। भारत का मानना है कि कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है।
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