नई दिल्ली। पीएम मोदी ने काम नहीं करने वाले और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने काम ठीक से नहीं करने वाले और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय सचिवों से कहा है कि दागियों और अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाओ। प्रधानमंत्री मोदी ने नॉन-परफॉर्मर और भ्रष्ट कर्मचारियों को रिटायर करने के निर्देश दिए।
उन्होंने CCS (पेंशन) नियमों का हवाला देते हुए केंद्रीय सचिवों को कर्मचारियों का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया। उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी सफलता का हवाला देते हुए कर्मचारियों के खिलाफ आई शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए उचित समाधान करने को कहा, ताकि प्रशासनिक प्रक्रिया को पारदर्शी और बेहतर बनाया जा सके।
समय से पहले हो जाएगी ‘छुट्टी’
सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद बुधवार को सभी केंद्रीय मंत्रियों और सचिवों के साथ बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सीसीएस (पेंशन) नियमों के मूल नियम 56 (जे) का उल्लेख किया। इसमें निर्दिष्ट किया गया है कि ‘उपयुक्त प्राधिकारी’ किसी भी सरकारी कर्मचारी को यदि उसकी राय में वह सेवा में बने रहने के लिए अयोग्य है तो उसे समय से पहले रिटायर कर सकता है।
किन पर गिर सकती है गाज
जबरन रिटायरमेंट के मामले में सरकार को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन और भत्ते देने की आवश्यकता होती है। 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले कर्मचारी इस नियम से प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह, नियम 48 में निर्दिष्ट किया गया है कि किसी भी समय सरकारी कर्मचारी की तरफ से 30 वर्ष की योग्यता सेवा पूरी करने के बाद, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उसे सार्वजनिक हित में रिटायर होने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं रिटायर किए गए अधिकारियों को अपना पक्ष रखने का मौका भी मिलेगा। वे रिटायरमेंट के आदेश को अदालतों में चुनौती भी दे सकते हैं। बता दें कि सरकारी विभाग CCS (पेंशन) के नियमों का इस्तेमाल करते हुए अब तक 500 से अधिक सरकारी अधिकारियों को अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट दे चुके हैं।
जनशिकायतों के जल्द निवारण पर जोर
सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों और सचिवों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सुशासन और विकास कार्यों को लोगों द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। उन्होंने हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक और जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन का हवाला दिया। प्रधानमंत्री ने शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जन शिकायतों का व्यापक और त्वरित समाधान किया जाए, न कि फाइलों को एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर धकेला जाए।
10 साल में 4.5 करोड़ शिकायतें
उन्होंने सचिवों से शिकायतों के समाधान के लिए हर हफ्ते एक दिन निकालने और राज्य मंत्रियों से उनकी निगरानी करने को भी कहा। सूत्रों ने बताया कि मोदी ने बताया कि पिछले 10 सालों में पीएमओ को लोगों की शिकायतों सहित 4.5 करोड़ पत्र मिले, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी 5 सालों में केवल 5 लाख ऐसे पत्र प्राप्त हुए थे।